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साँई कम्प्यूटर टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नां. 9098909565
created May 29th 2023, 07:24 by lovelesh shrivatri
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नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचडं 31 मई से चार दिन का भारत दौरा शुरू करने वाले हैं। कूटनीतिक विशेषज्ञ इन सवालों की पड़ताल में जुड़े है कि इस दौरे से दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दो को सुलझाने की दिशा में क्या पहल होती हैं। भारत-नेपाल के रिश्ते हिमालय की तरह प्राचीन और अटूट हैं। भौगोलिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आर्थिक कडि़यों ने सदियों से दोनों देशों को मजबूती से जोड़ रखा हैं। पर चीन अपनी वन बेल्ट-वन रोड परियोजना को लेकर इन रिश्तों के तीसरे कोण के तौर पर उभरा है। बीते चार-पांच साल के चीन के निवेश को लेकर नेपाल में न सिर्फ राजनीतिक समीकरण बल्कि भारत के प्रति कुछ नेताओं के सुर भी बदले है। पिछले साल नवंबर में नेपाल में चुनाव प्रचार के दौरान विपक्ष के नेता के.पी.शर्मा ओली ने कहा था कि अगर वह सत्ता में आते हैं। तो भारत से कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को वापस लेकर रहेंगे। ये इलाके सदियों से भारत का हिस्सा हैं। ओली इससे पहले भी चीन के प्रति झुकाव जाहिर करते रहे हैं। नेपाल के कुछ नेता भले ही चीन की चालाकियों की चपेट में हों, वहां की बहुसंख्यक हिंदू आबादी भारत के साथ मजबूत रिश्तों को हिमायती है। भारत और नेपाल बुद्ध के जन्मस्थान लुंबिनी से समान संबंध साझा करते हैं जो नेपाल में हैं। खुली सीमा के कारण दोनों देश के लोग एक-दूसरे के यहां निर्बाध आवाजाही करते हैं। विवाह और पारिवारिक संबंधों के कारण भी दोनों देश ज्यादा नजदीक हैं। इस नजदीकी को रोटी-बेटी के रिश्ते के नाम से जाना जाता हैं। इन्हीं रिश्तों के आधार पर भारत को भरोसा है कि नेपाल की राजनीति में उसके विरोध की लहर ज्यादा दूर और देर तक कायम नहीं रह सकती। भारत यह भी बखूबी समझता हैं कि भू-राजनीति (जियों-पॉलिटिक्स) के लिहाज से नेपाल अहम हैं। इसीलिए चीन से अमरीका तक की नेपाल में दिलचस्पी हैं। पिछले साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नेपाल यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए आधा दर्जन समझौते किए गए थे। 2019 में चीन वहां सबसे बड़े विदेशी निवेशक के तौर पर उभरा था। इस तथ्य के बावजूद कि भारत को नेपाल से ज्यादा नेपाल को भारत की जरूरत हैं। हमें अपने इस छोटे पड़ोसी देश को साधने की जरूरत हैं। चीन के साथ जारी सीमा विवाद के कारण भी यह जरूरी हो गया हैं। कि नेपाल को चीन की कठपुतली बनने से बचाया जाए। भरोसेमंद द्विपक्षीय रिश्ते नेपाल और भारत के लिए ही नहीं, इस पूरे क्षेत्र के साथ-साथ दुनिया के लिए भी महत्त्वपूर्ण हैं।
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