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बंसोड कम्प्यूटर टायपिंग इन्स्टीट्यूट छिन्दवाड़ा म0प्र0 प्रवेश प्रारंभ (CPCT, & TALLY)
created Sep 21st, 06:42 by Ashu Soni
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एक दिन की बात है की फातिमा को एक फोन आता है। फोन पर बात करते ही वह रोने लगती है। जब अली फातिमा को देखता है की फातिमा रो रही है तो वह पूछता है की क्या हुआ फातिमा क्यों रो रही हो? फातिमा बताती है की मेरी चाची अब इस दुनिया में नहीं रही। उनका इंतकाल हो चूका है। मुझे जल्द से जल्द चाचा के यहॉं जाना होगा। यह सुनकर अली बोलता है रोओ मत फातिमा मैं भी तुम्हारे साथ चाचा के यहॉं चलता हूँ। इसके बाद अली अपने भाई अकरम से कहता है की जब तक मैं नहीं आता तब तक तुम हलवे पराठे की ठेली लगाना और देखना की मेरे ग्राहकों को कोई तकलीफ नहीं होनी चाहिए। याद रखना की मैं हलवा बनाने के लिए दूकान से मंहगा और अच्छी गुणवत्ता का सामान खरीदता हूँ तुम सस्ते के चक्कर में मत पड़ना। इतना कहकर अली चला जाता है। इसके बाद अकरम हलवे पराठे की ठेली लगना शुरू कर देता है। ग्राहक आकर आराम से हलवा पराठा खा रहे हैं। अकरम देखता है की पराठा बनाने के लिए तेल खत्म हो गया है। अकरम सोचता है अगली सुबह जाकर वह दूकान से सारा सामान खरीद लेगा। अगली सुबह जब अकरम सामान लेने दूकान जाता है तो वह यह सोचकर सस्ता तेल ले लेता है की यह कौन सा उसके घर में उपयोग होने वाला है। रोज़ की तरह लोग ठेले पर आकर हलवा पराठा खाने लगते हैं। लेकिन कुछ देर बाद दो ग्राहक आते हैं हमने तुम्हारे यहॉं से हलवा खाया था और हमारी तबियत ख़राब हो गई। तुम्हारा बड़ा भाई अली कहॉं है हम उससे बात करते हैं की ये कैसा हलवा बनाया। यह सुनकर अकरम डर जाता है क्योंकि वह कई दिनों से सस्ता और मिलावटी तेल में बना हलवा पराठा बेच रहा था। यह बात जब अली को पता चलती है तो वह अकरम को बहुत डांटता है और अकरम से कहता है की वह लोगों से माफ़ी मांगे। अकरम को अपनी गलती का एहसास जाता है और लोगों से माफ़ी मांगते हुए कहता है की वह आगे से ऐसा नहीं उसे अपने किये पर बहुत पछतावा है। कहानी हमें यह सिखाती है हमें अपने मतलबके लिए दूसरों को तकलीफ नहीं देनी चाहिए। ईमानदारी और मेहनत से कमाया पैसा जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
