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पाकिस्तान से जल वार्ता
created Mar 22nd 2017, 10:01 by VarunTiwari
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पाकिस्ता न से जल वार्ता
भारत ने सिंधू जल के मामले में फिर वार्ता के लिए राल होकर सदाशयता दिखाई है । पर मुल समस्या पाकिस्तान का भारत विराधी नजरिया है।
एनडीए सरकार सिंधु पल विवाद पर पुन: बातचीत क मेज पर पहुंची है , तो उसे यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान इसे भारत क कमजोरी के रूप में नाले। पिछले सितंबर मं उरी हमले के बाद दानों देशों मं तनाव बढ़ा था। तब केंद्र ने संकेत दिए थे कि पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढावा देने पर आमादा रहा, तो भारत 1960 की सिंधु जल समझौता जारी रखने पर पुनर्विचार करे्गा । प्रधानमंत्री मोदी ने कहा थे कि खुन और पानी एक साथ्ा-साथ नहीं बह सकते । लेकिन अब इस संधि के दायरेमें आने वाले विवादों पर दाबारा बातचीत शुरूहो गई है। सोमवार व मंगलवार को इस्लामा बाद में दोनो देशां के प्रतिनिधिमटलों मे वार्ता हुई। इसमें तय हुआ कि किननगंगा और रतल पनबिजल परियोजना पर मतभेद दुर करने कि लिए अगली वार्ता 11 अप्रैलका वारशिंगटन मं होगी। सिंधु जल संधि मं झेलम, चेनाब और सिंधु नदियों के पानी पर पाकिस्तान का हक माना गया है। इन नदियों पर रत उसी हद तक कोई परियोजना बना सकता है , जिससे पाकिस्ताकन के हिस्सेा का पानी प्रभावित ना हो। पाकिस्तारनका दावा है कि जम्मून-कश्मीिर में प्रस्तारवित उपरोक्तश दोनों परियोजनाओं से स शर्त का उल्लंघन होगा। 2015 में दस बारे में आपसी बातचीत से सहमति नहीं बन सकी, तकि दस मामने को पाकिसतान विश्वर बैंक के परिए अंतराष्ट्री य पंचाट मे ले गया। सिंधुजल संधि मं विश्वे बैंक की हैसियत मध्यकस्थस की है । 11 अप्रैल को प्रास्ताावित वार्ता उसके ही तत्वाूधान में हेागी।
भारत ने सिंधू जल के मामले में फिर वार्ता के लिए राल होकर सदाशयता दिखाई है । पर मुल समस्या पाकिस्तान का भारत विराधी नजरिया है।
एनडीए सरकार सिंधु पल विवाद पर पुन: बातचीत क मेज पर पहुंची है , तो उसे यह अवश्य सुनिश्चित करना चाहिए कि पाकिस्तान इसे भारत क कमजोरी के रूप में नाले। पिछले सितंबर मं उरी हमले के बाद दानों देशों मं तनाव बढ़ा था। तब केंद्र ने संकेत दिए थे कि पाकिस्तान पर आतंकवाद को बढावा देने पर आमादा रहा, तो भारत 1960 की सिंधु जल समझौता जारी रखने पर पुनर्विचार करे्गा । प्रधानमंत्री मोदी ने कहा थे कि खुन और पानी एक साथ्ा-साथ नहीं बह सकते । लेकिन अब इस संधि के दायरेमें आने वाले विवादों पर दाबारा बातचीत शुरूहो गई है। सोमवार व मंगलवार को इस्लामा बाद में दोनो देशां के प्रतिनिधिमटलों मे वार्ता हुई। इसमें तय हुआ कि किननगंगा और रतल पनबिजल परियोजना पर मतभेद दुर करने कि लिए अगली वार्ता 11 अप्रैलका वारशिंगटन मं होगी। सिंधु जल संधि मं झेलम, चेनाब और सिंधु नदियों के पानी पर पाकिस्तान का हक माना गया है। इन नदियों पर रत उसी हद तक कोई परियोजना बना सकता है , जिससे पाकिस्ताकन के हिस्सेा का पानी प्रभावित ना हो। पाकिस्तारनका दावा है कि जम्मून-कश्मीिर में प्रस्तारवित उपरोक्तश दोनों परियोजनाओं से स शर्त का उल्लंघन होगा। 2015 में दस बारे में आपसी बातचीत से सहमति नहीं बन सकी, तकि दस मामने को पाकिसतान विश्वर बैंक के परिए अंतराष्ट्री य पंचाट मे ले गया। सिंधुजल संधि मं विश्वे बैंक की हैसियत मध्यकस्थस की है । 11 अप्रैल को प्रास्ताावित वार्ता उसके ही तत्वाूधान में हेागी।
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