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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH-CPCT - speed test
created Jul 15th 2017, 03:41 by DeendayalVishwakarma
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बहुत समय पहले की बात है रामू एक साहूकार के यहाँ काम करता था, वह रामू को बहुत मानता था और रामू भी दिन रात मेहनत करके उसका काम करता था। रामू और उसका एक छोटा परिवार था,
जिसमे उसकी पत्नी और एक बच्चा था। एक दिन साहूकार ने बोला रामू तुम खूब लगन से काम करो में तुमको एक दिन दस लाख रूपया दूंगा। उसकी यह बात सुनकर रामू खुशी से फूल गया और अपने भविष्य के सपने देखने लगा। घर जाकर उसने अपनी पत्नी को भी बताया और उसकी पत्नी ने बोला जिस दिन पैसा मिल जायेगा हम लोग आराम से रहेंगे और कोई काम नही करना पड़ेगा। अबरामू हर रोज सुबह-सुबह आ जाता और देर शाम तक साहूकार के यहाँ काम करता था। उसकी हर बात मानता था और किसी भी काम को मना नहीं करता था। कभी-कभी तो साहूकार उसको अपने काम से हप्तो बाहर भेज देता था, लेकिन वह फिर भी बुरा नहीं मानता था और पूरे लगन के साथ काम करता था। आज दीपावली का दिन था, साहूकार ने रामू को मना किया था की आज मत आना, लेकिन फिर भी वह अपने काम पर आया और देर शाम को घर गया। उसके मन में हमेशा वही दस लाख रूपया वाली बात गूजती रहती थीं और वह सोचता था की जिस दिन यह पैसा मिल जायेगा सब काम छोड़ दूंगा। समय बीतता गया और एक दिन रामू से एक गलती हो गयी और साहूकार ने रामू को काम से नीकाल दिया। वह रोने लगा और बोला मालिक हमने आप के लिए क्या नहीं किया और आप हमको काम से निकाल रहे हो। फिर भी साहूकार नहीं माना राम अपने घर जाते वक्त रास्ते में रो रहा था और सोच रहा था कि अगर मैंने दस लाख रूपया का लालच नहीं किया होता तो आज में कही और अच्छे पैसे में काम करके इतना पैसा कमा लिया होता। क्योकि रामू अब बूढ़ा हो चुका था और अब वह कोई और काम नहीं सीख सकता था।
जिसमे उसकी पत्नी और एक बच्चा था। एक दिन साहूकार ने बोला रामू तुम खूब लगन से काम करो में तुमको एक दिन दस लाख रूपया दूंगा। उसकी यह बात सुनकर रामू खुशी से फूल गया और अपने भविष्य के सपने देखने लगा। घर जाकर उसने अपनी पत्नी को भी बताया और उसकी पत्नी ने बोला जिस दिन पैसा मिल जायेगा हम लोग आराम से रहेंगे और कोई काम नही करना पड़ेगा। अबरामू हर रोज सुबह-सुबह आ जाता और देर शाम तक साहूकार के यहाँ काम करता था। उसकी हर बात मानता था और किसी भी काम को मना नहीं करता था। कभी-कभी तो साहूकार उसको अपने काम से हप्तो बाहर भेज देता था, लेकिन वह फिर भी बुरा नहीं मानता था और पूरे लगन के साथ काम करता था। आज दीपावली का दिन था, साहूकार ने रामू को मना किया था की आज मत आना, लेकिन फिर भी वह अपने काम पर आया और देर शाम को घर गया। उसके मन में हमेशा वही दस लाख रूपया वाली बात गूजती रहती थीं और वह सोचता था की जिस दिन यह पैसा मिल जायेगा सब काम छोड़ दूंगा। समय बीतता गया और एक दिन रामू से एक गलती हो गयी और साहूकार ने रामू को काम से नीकाल दिया। वह रोने लगा और बोला मालिक हमने आप के लिए क्या नहीं किया और आप हमको काम से निकाल रहे हो। फिर भी साहूकार नहीं माना राम अपने घर जाते वक्त रास्ते में रो रहा था और सोच रहा था कि अगर मैंने दस लाख रूपया का लालच नहीं किया होता तो आज में कही और अच्छे पैसे में काम करके इतना पैसा कमा लिया होता। क्योकि रामू अब बूढ़ा हो चुका था और अब वह कोई और काम नहीं सीख सकता था।
