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BUDDHA ACADEMY CPCT TIKAMGARH - 9098436156
created Aug 4th 2017, 11:18 by GuruKhare
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भारत ने अपने पास प्राचीन सटीक विदेशनीति के होते हुए भी केवल मरने के लिए या बलिदान होने के लिए बहुत युद्ध किये हैं। जैसे ही किसी शासक के आक्रमण की सूचना हमारे हिन्दू शासकों को मिलती तो उनमें से अधिकांश ने उस विदेशी शासक का सामना कूटनीति से न करके सीधे मरने के लिए किया। उनकी यह देशभक्ति की भावना निश्चय ही वंदनीय अभिनंदनीय थी पर यहां जिस प्रसंग की बात चल रही है वहां उनकी इस वीरता पर भी टिप्पणी करनी आवश्यक है, कि यदि वे भारतीय राजा लोग शत्रु का सामना करने के लिए अन्य शासकों के साथ मिलकर उससे युद्ध करते तो परिणाम अच्छे आते। हमारे राजाओं ने कई बार संघ बनाकर भी युद्ध किये, पर वहां कमी यह रही कि शत्रु की शक्ति का अनुमान न लगाकर उससे सीधे भिड़ गये। जिससे कितनी ही बार तो परिणाम अनुकूल आये पर कई बार परिणाम विपरीत भी आये थे। जो लोग आज पाकिस्तान को यथाशीघ्र नष्ट कराने के लिए मोदी सरकार से युद्ध छेड़ने की अपील कर रहे हैं उन्हें तनिक ठंडे दिमाग से यह भी सोचना चाहिए कि हड़बड़ी का परिणाम क्या होता है? विशेषत: तब जबकि विश्व समुदाय इस समय भारत का साथ दे रहा है और हर स्थिति में साथ देने के लिए देश भारत के साथ जुड़ रहे हैं, उन्हें भारत की ओर से अपनी गंभीरता का परिचय दिया ही जाना चाहिए, पर इस गंभीरता से हमारा अभिप्राय मनमोहन सरकार जैसी ढ़लमुल विदेशनीति से कतई भी नही है। मनु की विदेश नीति का उद्देश्य है कि शत्रु की शक्ति का पूर्ण आंकलन करके ही उस पर आक्रमण किया जाना चाहिए। यदि आपने शत्रु की शक्ति का आंकलन किये बिना ओर उसे मित्र विहीन किये बिना उससे बिना किसी ठोस योजना के युद्ध करना आरंभ कर दिया तो आपकी पराजय भी संभव है। युद्ध हर स्थिति में जीतने के लिए लड़ा जाना चाहिए। विदेश नीति में इस तथ्य को सदा ही ध्यान में रखकर निर्णय लिऐ जाने चाहिए। विदेशनीति में कूटनीति और कूटनीति में राजनीति यह नीति का खेल है। जो राष्ट्रनायक इस खेल का कुशल खिलाड़ी होता है, उसे एकांत की आवश्यकता होती ही है क्योंकि राजनीति में एकांत की योगसाधना से ही यह खेल सरलता से संपन्न होता जाता है। राष्ट्रनायक से भोगी, विलासी, या कामी ना होने की अपेक्षा इसीलिए की जाती है कि यदि वह भोगी, विलासी ओर कामी होकर रह गया तो राजसाधना के लिए और राष्ट्र आराधना के लिए वह कभी समय नही निकाल पाएगा। दूसरे राजनीति में विष कन्याओं का प्रयोग प्राचीन काल से होता आया है, ये अक्सर दूसरे राजा का राज जानने के लिए प्रयोग की जाती थीं, इस कारण से भी राजा को कामातुरता से दूर रहने की अपेक्षा की जाती थी कि पता नही कौन रूपसी उससे कब अपने रूप का चमत्कार दिखाकर देश की कौन सी मुख्य सूचना को ले जाए या लीक कर दे? जैसा कि हमने अपने आधुनिक कई 'राजाओं' के द्वारा देश की सूचनाएं लीक होते रहने के किस्से सुने हैं, उन किस्सों में उनको किसी रूपसी ने ही अपने जाल में फंसाकर प्रयोग किया था।
