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hindi mangal typing
created Sep 7th 2017, 05:41 by user1387054
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विधवा माता के द्वारा अपने पुत्र को जन्म काल से दी जा रही यही शिक्षा और विश्वास जीवन भर उनका मार्गदर्शन करता रहा कि दबे कुचले हिंदुओं के अधिकारों के लिए लडऩे और मुस्लिम शासकों को उखाड़ फेंकना ही उनका उद्देश्य है । अपने अनुयायियों के संगठित दल से उन्होंने 1655 में बीजापुर की कमज़ोर सीमा चौकियों पर कब्ज़ा करना शुरू किया। इसी दौर में उन्होंने सुल्तानों से मिले हुए स्वधर्मियों को भी समाप्त कर दिया। इस तरह उनके साहस व सैन्य निपुणता तथा हिन्दुओं को सताने वालों के प्रति कड़े रूख ने उन्हें आम लोगों के बीच लोकप्रिय बना दिया। अपने स्वामिभक्त लोगों के दल के द्वारा उन्होंने उन्नीस वर्ष की आयु में पूना के निकट तीरण के दुर्ग पर अधिकार करके अपना जीवन क्रम आरम्भ किया। मुग़लों बीजापुर के सुल्तानए गोवा के पुर्तग़ालियों और जंजीरा स्थित अबीसिनिया के समुद्री डाकुओं के प्रबल प्रतिरोध के बावजूद शिवाजी ने दक्षिण में एक स्वतंत्र हिन्दू राज्य की स्थापना की। धार्मिक आक्रामकता के काल में वह अकेले ही धार्मिक सहिष्णुता के समर्थक बने रहे। उनका राज्य बेलगांव से लेकर तुंगभद्रा नदी के तट तक समस्त पश्चिमी कर्नाटक में विस्तृत था। इस प्रकार शिवाजी एक साधारण जागीरदार के उपेक्षित पुत्र की स्थिति से अपने पुरुषार्थ द्वारा स्वाधीन राज्य के शासक बन गये जिसका निर्माण स्वयं उन्होंने ही किया था। एक सुगठित शासन प्रणाली एवं सैन्य संगठन द्वारा राज्य को सुदृढ़ करके उन्होंने जन साधारण का भी विश्वास प्राप्त किया। जिस स्वतंत्रता की भावना से वे स्वयं प्रेरित हुए थेए उसे उन्होंने अपने देशवासियों के हृदय में भी इस प्रकार प्रज्वलित कर दिया कि उनके मरणोंपरान्त औरंगज़ेब द्वारा उनके पुत्र का वध कर देने पौत्र को कारागार में डाल देने तथा समस्त देश को अपनी सैन्य शक्ति द्वारा रौंद डालने पर भी वे अपनी स्वतंत्रता बनाये रखने में समर्थ हो सके। उसी से भविष्य में विशाल मराठा
