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GAIL Remington/Mangal (MP CPCT 21st May 2017 Hindi Typing Test)

created Nov 8th 2017, 16:23 by AbhishekVishwakarma8


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कहते हैं कि जब सारे दरवाजे बंद हो जाते हैं तो भगवान एक खिडकी खोल देता है। लेकिन अकसर हम बंद हुए दरवाजे की ओर इतनी देर तक देखते रह जाते हैं कि खुली हुई खिडकी की ओर हमारी निगाह भी नही जाती। ऐसी परिस्थिति में जो अपनी इच्छाशक्ति से संभव को बना देते हैं‚ वो अमर हो जाते हैं। कडा संकल्प वह महान शक्ति है जो मानव की आंतरिक शक्तियों को विकसित कर प्रगति पथ पर सफलता की इबारत लिखती है। अनगिनत लोगों की प्रेरणा और नारी जाति का गौरव मिस हेलन केलर हैं जो शरीर से अपंग पर मन से समर्थ महिला थीं। उनके प्रभावशाली इरादों ने नई प्रेरणा शक्ति को जन्म दिया। 27 जून 1880 को जन्म लेने वाली ये बालिका 6 महिने में घुटनो के बल चलने लगी और एक वर्ष की होने पर बोलने लगी। जब 19 माह की हुई तो एक साधारण से बुखार ने उसकी खुशहाल जिंदगी पर ग्रहण लगा दिया। बुखार तो ठीक हो गया किन्तु उसने हेलन केलर को दृष्टीहीन तथा बधिर बना दिया। सुन सकने की स्थिति में बोलने भी असंभव हो जाता है। माता पिता बेटी की ऐसी हालत देखकर अत्यधिक दुखी हो गये। हेलन का बचपन कठिन दौर से गुजरने लगा। किसी को आशा भी थी इन मुश्किलो का कोई उपाय भी हो सकता हैं। एक दिन हेलन की माता समाचार पत्र पढ रहीं थीं। तभी उनकी निगाह बोस्टन की परकिन्स संस्था की विवरण पर पडी। उसको पढते ही उनके चेहरे पर प्रसन्नता की एक लहर दाैड गयी और उन्होने अपनी पुत्री हेलन का दुलार करते हुए कहा कि अब शायद मुश्किलों का समाधान हो जाए। हेलन के पिता ने परकिन्स संस्था की संरिक्षिका से अनुरोध किया जिससे वे हेलन को घर आकर पढाने लगी। यही से हेलन केलर की जिंदगी में परिवर्तन शुरू हुआ। केलर की अध्यापिका सुलीवान बहुत मुश्किलों से उन्हें वर्णमाला का ज्ञान दिया। एक एक अक्षर को केलर कई घंटो दोहराती थीं‚ तब कही जाकर वे याद होते थे। धीरे धीरे वे बोलने का भी अभ्यास करने लगीं जिसमें उन्हें आशिंक सफलता प्राप्त हुई। इसी तरह कठिन परिश्रम के बन पर उन्होनें लेटिन‚ फ्रेंच और जर्मन भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। 8 वर्षों के घोर परिश्रम से उन्होनें स्नातक की डिग्री प्राप्त कर ली थीं। अब उन्हें सारे संसार में लोग जानने लगे थे और बधित होते हुए भी संगीत की धुन सुन सकती थीं। यह ही हेलन केलर ने टालस्टाय‚ नीतशे‚ रविन्द्रनाथ टैगोर और अरस्तू जैसे विचारकों के साहित्य को पढा। यह ही नहीे‚ उनकी लिखी आत्मकथा संसार की 50 भाषाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं।

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