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WEF word competitive index डब्ल्यूईएफ वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा रिपोर्ट 2017 18
created Nov 14th 2017, 16:43 by DanishKhan1479056
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स्वतन्त्र अन्तर्राष्ट्रीय संगठन विश्व आर्थिक मंच ने 26 सितम्बर, 2017 को वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा रिपोर्ट 2017-18 जारी की। इस रिपोर्ट की विशेषता के रूप में इसके तहत ग्लोबर कॉम्पिटीटिवनेस इण्डेक्स भी जारी किया गया, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को समावेशी विकास को बनाए रख्शने की उनकी क्षमता के आधार पर रैंक प्रदान की गई।
यह रिपोर्ट विश्व की 137 अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्द्धात्मकता के परिदृश्य का आकलन करती है जिससे उनकीउत्पादकता और समृद्धि के संचालकों में अद्वितीय अनतर्दृष्टि प्रदान की जा सकती है।
वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा रिपोर्ट 2017 18 में दिए गए डाटा के अनुसार, वैश्विक आर्थिक संकट के दस वर्षों में नेताओं और नीति-निर्माताओं की ओर से एक व्यापक असफलता के कारण निरन्तर आर्थिक वसूली की सम्भावनाएँ खतरे में रही हैं, और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कम करने और उत्पादकता में ज्यादा बढ़ोतरी करने के लिए आवश्यक सुधारों मेंबदलाव की दरकार है। जीसीआई में भारत को इस बार 40वां स्थान प्रापत हुआ, पिछले वर्ष भारत को 39वां स्थान प्रापत हुआ था। एक दशक के ऑंकड़े श्रम बाजातों में सुरक्षा के साथ लचीलेपन के सन्तुलन के महत्व को दर्शाते हैं और नवाचार से उत्पादकता में लाभ परिहारकारी बना हुआ है।
तकनीकी परिवत्रन की गति और विघटन अभूतपूर्व अवसरों और चुनौतियों का निर्माण कर रहे हैं जो डिजिटल, भौतिक और जैविक प्रौद्योगिकियों के अभिसरण से बढ़े हैं और इनसे उभर रही चौथी औद्योगिक क्रान्ति परिलक्षित हो रही है।
इस इण्डेक्स के अनुसार, भारत दक्षिण एशिया में सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी देश है, जबकि क्षेत्र के अधिकांश देशों ने अपना प्रदर्शन बेहतर बना दिया है। पिछले दो र्व्षों से आगे बढ़ने के बाद भारत की स्थिति इस वर्ष स्थिर रही, और भारत को इस सूचकांक में 40वां स्थान प्राप्त हुआ।
भारत का स्कोर प्रतिस्पर्द्धातमकता के अधिकांश स्तम्भों, विशेषकर आधारभूत संरचना, उच्च शिक्षा और तकनीकी तैयारी में सुधार, इन क्षेत्रों में हाल ही के सार्वजनिक निवेशों को दर्शाता है।
यह रिपोर्ट विश्व की 137 अर्थव्यवस्थाओं की प्रतिस्पर्द्धात्मकता के परिदृश्य का आकलन करती है जिससे उनकीउत्पादकता और समृद्धि के संचालकों में अद्वितीय अनतर्दृष्टि प्रदान की जा सकती है।
वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा रिपोर्ट 2017 18 में दिए गए डाटा के अनुसार, वैश्विक आर्थिक संकट के दस वर्षों में नेताओं और नीति-निर्माताओं की ओर से एक व्यापक असफलता के कारण निरन्तर आर्थिक वसूली की सम्भावनाएँ खतरे में रही हैं, और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को कम करने और उत्पादकता में ज्यादा बढ़ोतरी करने के लिए आवश्यक सुधारों मेंबदलाव की दरकार है। जीसीआई में भारत को इस बार 40वां स्थान प्रापत हुआ, पिछले वर्ष भारत को 39वां स्थान प्रापत हुआ था। एक दशक के ऑंकड़े श्रम बाजातों में सुरक्षा के साथ लचीलेपन के सन्तुलन के महत्व को दर्शाते हैं और नवाचार से उत्पादकता में लाभ परिहारकारी बना हुआ है।
तकनीकी परिवत्रन की गति और विघटन अभूतपूर्व अवसरों और चुनौतियों का निर्माण कर रहे हैं जो डिजिटल, भौतिक और जैविक प्रौद्योगिकियों के अभिसरण से बढ़े हैं और इनसे उभर रही चौथी औद्योगिक क्रान्ति परिलक्षित हो रही है।
इस इण्डेक्स के अनुसार, भारत दक्षिण एशिया में सबसे अधिक प्रतिस्पर्द्धी देश है, जबकि क्षेत्र के अधिकांश देशों ने अपना प्रदर्शन बेहतर बना दिया है। पिछले दो र्व्षों से आगे बढ़ने के बाद भारत की स्थिति इस वर्ष स्थिर रही, और भारत को इस सूचकांक में 40वां स्थान प्राप्त हुआ।
भारत का स्कोर प्रतिस्पर्द्धातमकता के अधिकांश स्तम्भों, विशेषकर आधारभूत संरचना, उच्च शिक्षा और तकनीकी तैयारी में सुधार, इन क्षेत्रों में हाल ही के सार्वजनिक निवेशों को दर्शाता है।
