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कम्प्यूटर आपरेटर जितेन्द्र पाल 8076922594
created Nov 23rd 2017, 13:22 by JitendraPal
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पी की तत्कालीन श्रमायुक्त शालिनी प्रसाद की ओर से कोर्ट में दाखिल स्टेट्स रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के मुजफ्फरनगर का अखबार शाह टाइम्स अपने 22 और लखनऊ में इंडियन एक्सप्रेस अपने सात कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड का लाभ दे रहा है। रिपोर्ट में यहां तक कहा गया कि शाह टाइम्स ने अपने सभी कर्मचारियों को मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक बकाया एरियर का भी भुगतान कर दिया है। अमर उजाला ने आंशिक लागू कर बकाया एरियर 48 समान किस्तों में देने का कर्मचारियों से समझौता कर लिया है। दैनिक जागरण ने 20जे के तहत वेज बोर्ड उनके संस्थान पर लागू न होना बताया।
उत्तर प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर शासन की सर्वाधिक चौंकाने वाली स्टेट्स रिपोर्ट हिन्दुस्तान समाचार पत्र की है। यही वजह है कि हिन्दुस्तान प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर निश्चिंत नजर आ रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश का श्रम विभाग उनको पहले ही क्लीन चिट दे चुका है, वह यदि परेशान है, तो उन कर्मचारियों को लेकर है, जिन्होंने हाल ही में श्रम विभाग में मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतनमान और बकाया एरियर न मिलने का क्लेम ठोंक कर हिन्दुस्तान प्रबंधन की आरसी जारी करा दी हैं। हिन्दुस्तान के खिलाफ आगरा से 11 और बरेली से 3 आरसी कटने के बाद से प्रबंधन की चूलें हिली हुई हैं। बरेली में एक और आरसी कटने के कगार पर है। इसके अलावा लखनऊ के 16 कर्मचारी भी ताल ठोकर हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ मैदान में कूद पड़े हैं।
इन आरसी के कटने से जहां एक और श्रम विभाग की हिन्दुस्तान के पक्ष में कोर्ट में दाखिल स्टेट्स रिपोर्ट झूठी साबित हो रही है, वहीं हिन्दुस्तान प्रबंधन को यदि इन क्लेमकर्ताओं को पैसा देना पड़ा, तो अन्य कर्मचारियों में जबरदस्त असंतोष फैलेगा। उस गंभीर स्थिति से निपटना प्रबंधन के लिए बेहद मुश्किल भरा होगा।
तत्कालीन श्रमायुक्त की स्टेट्स रिपोर्ट वायरल होते ही हिन्दुस्तान में अभी भी मजीठिया का लाभ मिलने की आस में नौकरी कर रहे कर्मचारियों में अब अंदर ही अंदर असंतोष बढ़ रहा है। इस खुलासे के बाद अब उनकी यह आस भी खत्म होने लगी है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर हिन्दुस्तान प्रबंधन उनको मजीठिया का कोई लाभ देगा।
उत्तर प्रदेश में मजीठिया वेज बोर्ड को लेकर शासन की सर्वाधिक चौंकाने वाली स्टेट्स रिपोर्ट हिन्दुस्तान समाचार पत्र की है। यही वजह है कि हिन्दुस्तान प्रबंधन सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर निश्चिंत नजर आ रहा है क्योंकि उत्तर प्रदेश का श्रम विभाग उनको पहले ही क्लीन चिट दे चुका है, वह यदि परेशान है, तो उन कर्मचारियों को लेकर है, जिन्होंने हाल ही में श्रम विभाग में मजीठिया वेज बोर्ड के मुताबिक वेतनमान और बकाया एरियर न मिलने का क्लेम ठोंक कर हिन्दुस्तान प्रबंधन की आरसी जारी करा दी हैं। हिन्दुस्तान के खिलाफ आगरा से 11 और बरेली से 3 आरसी कटने के बाद से प्रबंधन की चूलें हिली हुई हैं। बरेली में एक और आरसी कटने के कगार पर है। इसके अलावा लखनऊ के 16 कर्मचारी भी ताल ठोकर हिन्दुस्तान प्रबंधन के खिलाफ मैदान में कूद पड़े हैं।
इन आरसी के कटने से जहां एक और श्रम विभाग की हिन्दुस्तान के पक्ष में कोर्ट में दाखिल स्टेट्स रिपोर्ट झूठी साबित हो रही है, वहीं हिन्दुस्तान प्रबंधन को यदि इन क्लेमकर्ताओं को पैसा देना पड़ा, तो अन्य कर्मचारियों में जबरदस्त असंतोष फैलेगा। उस गंभीर स्थिति से निपटना प्रबंधन के लिए बेहद मुश्किल भरा होगा।
तत्कालीन श्रमायुक्त की स्टेट्स रिपोर्ट वायरल होते ही हिन्दुस्तान में अभी भी मजीठिया का लाभ मिलने की आस में नौकरी कर रहे कर्मचारियों में अब अंदर ही अंदर असंतोष बढ़ रहा है। इस खुलासे के बाद अब उनकी यह आस भी खत्म होने लगी है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने पर हिन्दुस्तान प्रबंधन उनको मजीठिया का कोई लाभ देगा।
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