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UPSSSC Junior Assistant Typing Test Hindi (Create Test Mr. V.K.Maurya)
created Dec 8th 2017, 13:53 by sohanlalMaurya
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आजकल हमारे देश में यह फैशन सा चल पडा है कि कुछ विशिष्ट लोग, दूसरों के पहनाई गयी, सुगन्धित पुष्पों की माला को पहनने के तुरन्त बाद ही उतार देते हैं, उन्हें यह सम्मान सूचक माला ऐसी लगती है जैसे किसी ने उनके गले में काला नाग लपेट दिया हो। हमारा पाचीन साहित्य एवं इतिहास यह स्मरण कराता है कि सुमन माला को निकालने के कारण ही देवासुर संगाम तक छिड गया था जिसमें कठंहार को निकालने के अपराध में देवराज इन्द सिंहासन से उतार दिये गये थे।
आजकल हमारे देश में यह फैशन सा चल पडा है कि कुछ विशिष्ट लोग, दूसरों के पहनाई गयी, सुगन्धित पुष्पों की माला को पहनने के तुरन्त बाद ही उतार देते हैं, उन्हें यह सम्मान सूचक माला ऐसी लगती है जैसे तिसी ने उनके गले में काला नाग लपेट दिया हो। हमारा पाचीन साहित्य एवं इतिहास यह स्मरण कराता है की सुमन माला को निकालने के कारण ही देवासुर संगाम तक छिड गया था जिसमें कठंहार को निकालने के अपराध में देवराज इन्द सिंहासन से उतार दिये गये थे।
गले में डाली गयी माला की सुगन्ध स्वाभाविक ही नाक में कर जाती है जिससे भीतर समाई हुई दुर्गन्ध दूर हो जाती है, मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो जाता है, रोग दोष भाग जाते हैं। शरीर में स्वस्थ और शुभ संकल्पों का सम्यक समीकरण जाग्रत हो जाता है। गले में डाली गयी माला का अपमान करने के ही कारण भगवान शिव की सती को, अपने ही पिता दक्ष संचालित यज्ञ में आहूति देकर अपने शरीर को नष्ट करना पड़ा था, क्योंकि उनके पिता ने ऋषि दारा दी गई माला का अपमान किया था।
आजकल हमारे देश में यह फैशन सा चल पडा है कि कुछ विशिष्ट लोग, दूसरों के पहनाई गयी, सुगन्धित पुष्पों की माला को पहनने के तुरन्त बाद ही उतार देते हैं, उन्हें यह सम्मान सूचक माला ऐसी लगती है जैसे तिसी ने उनके गले में काला नाग लपेट दिया हो। हमारा पाचीन साहित्य एवं इतिहास यह स्मरण कराता है की सुमन माला को निकालने के कारण ही देवासुर संगाम तक छिड गया था जिसमें कठंहार को निकालने के अपराध में देवराज इन्द सिंहासन से उतार दिये गये थे।
गले में डाली गयी माला की सुगन्ध स्वाभाविक ही नाक में कर जाती है जिससे भीतर समाई हुई दुर्गन्ध दूर हो जाती है, मन प्रसन्न एवं प्रफुल्लित हो जाता है, रोग दोष भाग जाते हैं। शरीर में स्वस्थ और शुभ संकल्पों का सम्यक समीकरण जाग्रत हो जाता है। गले में डाली गयी माला का अपमान करने के ही कारण भगवान शिव की सती को, अपने ही पिता दक्ष संचालित यज्ञ में आहूति देकर अपने शरीर को नष्ट करना पड़ा था, क्योंकि उनके पिता ने ऋषि दारा दी गई माला का अपमान किया था।
