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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) High Court Matter
created Jan 3rd 2018, 17:20 by AnujGupta1610
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केंद्र सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को राहत देने के लिए तत्काल तीन तलाक के खिलाफ कानून बनाने की पहल कर दी है और इसके तहत प्रस्तावित कानून से संबंधित विधेयक लोकसभा से पारित भी हो चुका है। अब इस विधेयक पर राज्यसभा में विचार होना है। ध्यान रहे कि इसके पहले सर्वोच्च न्यायालय ने एक झटके में दिए जाने वाले तीन तलाक के खिलाफ फैसला देते समय सरकार से कानून बनाने के लिए भी कहा था। तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के पहले ही उसकी आलोचना शुरू हो गई है। पत्रकार सादिया देहलवी का कहना है कि तीन तलाक अच्छी बात नहीं है, मगर इसके लिए तीन साल की सजा देना ठीक नहीं है। इससे मुसलमान महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन कह रहे हैं कि न केवल तीन तलाक, बल्कि निकाह हलाला, बहुविवाह के खिलाफ और बच्चों की देखभाल के लिए भी कानून बनना चाहिए।
संसद में आठ दिनों से छाया गतिरोध वित्तमंत्री अरुण जेटली के दो लाइनों वाले बयान से खत्म हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी पर नरेन्द्र मोदी ने माफी मांगी और न भाजपा ने। पूरा देश हैरान है कि जब जेटली के बयान से ही मामला निपट सकता था, तो ये आठ दिन पहले क्यों नहीं निपटा? पहले कांग्रेस क्यों अड़ी रही और फिर अचानक मान क्यों गई? कहीं ये सरकार और विपक्ष के बीच नूरा कुश्ती तो नहीं थी, हमेशा की तरह? प्रधानमंत्री की माफी मांग पर अड़ी कांग्रेस का जेटली के बयान पर एकाएक पलटना एक साथ कई सवाल खड़े करता है। बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल ये कि सत्ता के मद में डूबे राजनेता संसद की गरिमा के साथ खिलवाड़ क्यों करते हैं? संसद देश की समस्याओं पर चर्चा करने और उसका समाधान निकालने का सबसे बड़ा मंच है।
प्रतिवादी धर्मदास ने अपने साक्ष्य में व्यक्त किया है कि वादी द्वारा वादपत्र में जिस संयुक्त हिंदू परिवार का लेख किया है वह संयुक्त हिंदू परिवार 28-30 वर्ष पूर्व जब वादी अपना हिस्सा लेकर पृथक हुआ था उसी समय विखंडित हो गया था। इसलिए वादपत्र में उल्लिखित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति 28-30 वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुकी थी, इसलिए वादी को वादग्रस्त संपत्तियों में कोई हक नहीं है और न ही अनुलग्न बी लगायत एफ का कोई विवाद शेष है। वादी द्वारा वादपत्र में स्वयं की संपत्तियों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। केवल प्रतिवादीगण क्रमांक 1, 2, 3, की संपत्तियों का ही उल्लेख किया गया है।
संसद में आठ दिनों से छाया गतिरोध वित्तमंत्री अरुण जेटली के दो लाइनों वाले बयान से खत्म हो गया। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री की तरफ से की गई टिप्पणी पर नरेन्द्र मोदी ने माफी मांगी और न भाजपा ने। पूरा देश हैरान है कि जब जेटली के बयान से ही मामला निपट सकता था, तो ये आठ दिन पहले क्यों नहीं निपटा? पहले कांग्रेस क्यों अड़ी रही और फिर अचानक मान क्यों गई? कहीं ये सरकार और विपक्ष के बीच नूरा कुश्ती तो नहीं थी, हमेशा की तरह? प्रधानमंत्री की माफी मांग पर अड़ी कांग्रेस का जेटली के बयान पर एकाएक पलटना एक साथ कई सवाल खड़े करता है। बड़ा और महत्वपूर्ण सवाल ये कि सत्ता के मद में डूबे राजनेता संसद की गरिमा के साथ खिलवाड़ क्यों करते हैं? संसद देश की समस्याओं पर चर्चा करने और उसका समाधान निकालने का सबसे बड़ा मंच है।
प्रतिवादी धर्मदास ने अपने साक्ष्य में व्यक्त किया है कि वादी द्वारा वादपत्र में जिस संयुक्त हिंदू परिवार का लेख किया है वह संयुक्त हिंदू परिवार 28-30 वर्ष पूर्व जब वादी अपना हिस्सा लेकर पृथक हुआ था उसी समय विखंडित हो गया था। इसलिए वादपत्र में उल्लिखित संयुक्त हिन्दू परिवार की संपत्ति 28-30 वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुकी थी, इसलिए वादी को वादग्रस्त संपत्तियों में कोई हक नहीं है और न ही अनुलग्न बी लगायत एफ का कोई विवाद शेष है। वादी द्वारा वादपत्र में स्वयं की संपत्तियों का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। केवल प्रतिवादीगण क्रमांक 1, 2, 3, की संपत्तियों का ही उल्लेख किया गया है।
