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मंगल फॉन्‍ट टाइपिंग अभ्‍यास

created Jan 9th 2018, 05:52 by MaheshSharma4338


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प्रत्‍यर्थी ने याची के छुट्टी आवेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया और एक तरफा रूप से या त्रुटिपूर्ण रूप से यह निष्‍कर्ष निकाला कि याची ने सेवा परित्‍यक्‍त कर दी और तारीख 6 अक्‍टूबर, 2000 का कार्यालय आदेश उपाबंध पी पारित किया और विधि की सम्‍यक् प्रक्रिया का अनुसरण किए बिना याची की सेवा समाप्‍त कर  दी। याची ने अपने ठीक ज्‍येष्‍ठ चिकित्‍सा अधिकारी अर्थात मुख्‍य चिकित्‍सा, जिला अस्‍पताल, कुल्‍लू के पास अपना के पास अपना सम्‍पर्क पता छोड़ दिया था। याची ने लगभग 6 माह के लिए जिला अस्‍पताल, कुल्‍लू में सेवा की, प्रत्‍यर्थी ने तारीख 5 नवम्‍बर, 1999 के द्वारा रेफरल अस्‍पताल, सरका घाट में याची को स्‍थानांतरित कर दिया। भारसाधक चिकित्‍सा अधिकारी कुल्‍लू ने तारीख 10 नवम्‍बर, 1999 के कार्यालय आदेश द्वारा याची को अनुपस्थिति रहने के कारण अवमुक्‍त कर दिया जिसे उसके पते पर भेज दिया गया। प्रत्‍यर्थी ने तो याची पर कारण बताओ नोटस तामील करने के लिए कोई कदम उठाया ही प्रत्‍यर्थी ने याची को सुनवाई का कोई अवसर उपलब्‍ध कराया या और अवैध, मनमाने और असंवैधानिक तरीके से याची को सेवा से अभिमुक्ति देते हुए आक्षेपित कार्यालय आदेश उपाबंध पी पारित किया। याची ने अवैध आदेश के विरुद्ध प्रत्‍यर्थी को तारीख 10 अक्‍टूबर, 2000 के अभ्‍यावेदन द्वारा एक अभ्‍यावेदन दिया। प्रत्‍यर्थी ने याची के उस अभ्‍यावेदन पर कोई आदेश पारित नहीं किया। याची, जिला अस्‍पताल, कुल्‍लू में अपनी तैनाती के पूर्व ई. एस. आई. अस्‍पताल, परवानू में सेवा की थी। सरकारी कर्मचारियों के वेतनमान को पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पुनरीक्षित किया गया था। प्रत्‍यर्थी ने सिफारिशों को स्‍वीकार किया था और तारीख 1 जनवरी, 1996 से अपने कर्मचारियों का वेतनमान पुनरीक्षित किया था। तथापि, याची को तारीख 1 जनवरी, 1996 से पुनरीक्षित वेतनमान का कोई फायदा नहीं दिया गया, बावजूद इसके कि इस संबंध में मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी सोलन का 6 अक्‍टूबर, 1999 का कार्यालय आदेश उपाबंध पीएफ था। याची का वेतन पुनरीक्षित नहीं किया गया। वह अपनी अवैध सेवा समाप्ति तक पूर्व-पुनरीक्षित वेतन पर ही वेतन प्राप्‍त करती रही।  

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