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हिन्दी टाईपिंग टेस्ट (Remington Gail Mangal Font) भाग - 8
created Jan 26th 2018, 09:56 by Dilip Shah
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उपाध्यक्ष महोदय, मैंने अभी निवेदन किया था कि देश के नेताओं ने संघर्ष करके और जनता के सहयोग से अंग्रेजों को बाहर निकाल दिया। हमारा देश स्वतंत्र हुआ। हमने अपना संविधान बनाया। संविधान बनाने वाली एक कमेटी बनी। यह समय की पुकार थी और कांग्रेस के नेताओं की सूझबूझ थी कि उन्होंने इस देश के महत्व को समझकर महान वकील को मसौदा बनाने वाली कमेटी का अध्यक्ष बनाया। श्रीमन् मुझे बहुत ही दु:ख के साथ यह कहना पड़ता है कि संविधान 26 जनवरी 1949 को अधूरा और 26 जनवरी 1950 को पूरा लागू हो गया। लेकिन आज तक इस धारा को लागू नहीं किया गया। संविधान बनाने वालों ने इसको यहीं नहीं छोड़ दिया। उन्होंने उसे सरकार की मर्जी पर भी नहीं छोड़ा था। मैं मानता हूँ कि कुछ सिद्धांतों को सरकार न माने तो अदालत के द्वारा भी उन्हें मनवाया नहीं जा सकता। हालांकि मूलभूत अधिकार मनवाया जा सकता है। लेकिन निश्चित रूप से राज्य और केन्द्र की सरकारों को संविधान के कुछ सिद्धांत एक दिशा देते हैं। जो भी सरकार होगी उसे उस दिशा की तरफ चलना होगा। हमें स्वतंत्र हुए चालीस वर्ष हो गए हैं परन्तु अभी तक इस दिशा में कदम अधूरे ही हैं। मैंने इसी कारण से कहा कि राजनीति से ऊपर उठकर इस पर आज चर्चा करें। कोई भी दल और किसी भी दल का नेता चाहे वह जिस विचारधारा का हो यह नहीं कह सकता कि वह सत्ता नहीं रही। हम सभी किसी न किसी रूप में सत्ता में रहें। आज भी कई राज्यों में विरोधी दलों की सरकारें हैं। वे लोग भी जिन्होंने आज विभिन्न दल बनाए हैं किसी न किसी दिन मंंत्री, मुख्यमंत्री या केन्द्र सरकार में मंत्री रहे। इसलिए आज कोई भी व्यक्ति जो इस देश में यह दावा करता है कि वह नेता है वह इससे अपने को अलग नहीं कर सकता। हम सब इसमें शामिल हैं। मैं मानता हूँ कि हमारी उपलब्धियां शिक्षा के क्षेत्र में भी हैं और दूसरे क्षेत्र में भी हैं लेकिन मैं इस बात पर चर्चा कर रहा हूँ कि केवल शिक्षा के क्षेत्र में जहां अंग्रेज तीस विश्वविद्यालय छोड़ गए थे वहां आज एक सौ विश्वविद्यालय हैं। जहां मुश्किल से इस देश में एक लाख प्राइमरी स्कूल हुआ करते थे आज पांच लाख प्राइमरी स्कूल हैं। मैं इस पर अधिक नहीं कहना चाहता। ये ही हमारी उपलब्धियां हैं। इनमें सभी दलों का, नेताओं का और विशेष रूप से देश की जनता का सहयोग है। लेकिन मैं इस समय उसी धारा की चर्चा कर रहा हूँ। इसका अर्थ मैं एक साधारणय वकील के नाते, एक साधारणय टीचर के नाते और एक साधारण संविधान का विद्यार्थी होने के नाते लगा रहा हूँ। ऐसा लगता है कि सरकार ने अनजाने में चौदह वर्ष तक सभी बालकों को नौकरी करने के लिए बढ़ावा दिया।
