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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP)

created Feb 10th 2018, 10:31 by BhanuPratapSen


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बहुत समय पहले की बात है हिमालय के जंगलो में एक बहुत ताकतवर शेर रहता था एक दिन उसने बारासिंघे का शिकार किया और खाने के बाद अपनी गुफा को लौटने लगा अभी उसने चलना शुरू ही किया था कि एक सियार उसके सामने दंडवत करता हुआ उसके गुणगान करने लगा। शेर खुश हुआ और सियार चुपके से निकल गया। एक दिन शेर ने सियार को संदेश भेजा कि महाराजा शेर ने बुलाया, सियार बहुत परेशान हो गया और डरने लगा, कि ऐसा हो कि आज मैं, महाराजा शेर का भोजन बन जाऊ।
    सियार डरते डरते शेर की गुफा के पास पहुचा और महाराजा शेर को आवाज दी वह शेर और शेरों जैसा नही था। वह अपने जंगल का सच्‍चा रक्षक था, बस उन्‍ही जानवरों का शिकार करता था। और जानवरों को हानि पहुचाते थे। सियार को जैसे ही शेर ने देखा कि वह बहुत डरा हुआ है। शेर ने सियार से कहां कि डरने की कोई बात नही मैने यहां तुम्‍हारा शिकार करने नही बुलाया। मैंने इसलिए तुम्‍हे बुलाया कि मैं, तुम्‍हे एक काम दे रहा हूं, इसलिए तुम्‍हें यहां बुलाया गया। शेर ने सियार को जंगल का काजी नियुक्‍त किया ओर कहां कि आज से तुम्‍हें यह जिम्‍मेदारी अच्‍छे से निभाना है, और जंगल पर निगरानी रखना है, कि कोई हमारे जंगल को नुकशान तो नही पहुंचा रहा, और कहां की आज यह जिम्‍मा तुम्‍हे सौंप रहा हूं।
    अगले ही दिन जंगल में कुछ लकडहारे घुसे और रात में वनों की कटाई करने लगें, तभी अचानक सियार को खबर मिली की जंगल में कुछ लकड़हारे घुस आये है, सियार ने तुरंत ही महाराजा शेर को जानकारी दी और कहां महाराज हमारे वृक्ष काटे जा रहे हैं। शेर ने तुरंत अपने तहाड़ से सारे जानवरों को एकट्ठा किया ओर लकड़हारों पर हमला करने का आदेश दिया। आदेश पाते ही सारे जानवर लकडहारों की तलाश में निकल पड़े और उनको जंगल से दौड़ा-दौड़ा कर भगा दिया।

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