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रोहित टाइपिंग सेन्टर चकिया राजरूपपुर HVM Public school High Court Typing 250 word By-(R.K AGRAHARI) Hindi ( REMINGTON GAIL ) contact: 8858565698, 8299289045
created Apr 21st 2018, 12:48 by RahulAgrahariRahul
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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार के साथ-साथ हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश सरकार को दिल्ली एवं आसपास के इलाके में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के उपायों पर काम करने का जो आदेश दिया वह कोई नया नहीं है। वह इस तरह के आदेश-निर्देश इसके पहले पहले भी दे चुका है और फिर भी अनुभव यही बताता है कि राज्य सरकारें प्रदूषण रोंधी उपायों पर ईमानदारी के साथ काम करने के लिए तैयार नहीं। प्रदूषण की रोकथाम के उपयों पर अमल के मामले में हीलाहवाली की जो स्थिति दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश की है वही अन्य राज्यों की भी है। यह तब है जब दिल्ली और आसपास के इलाकों के साथ ही देश के अन्य हिस्सों में भी वायु प्रदूषण की स्थिति दिन-प्रतिदिन गंभीर होती जा रही है। बेहतर हो कि सुप्रीम कोर्ट यह भी देखे कि दिल्ली-एनसीआर के अलावा देश के वाकी हिस्सों में वायु प्रदूषण की रोकथाम के उपायों की किस तरह अनदेखी हो रही है। पिछले कुछ समय से देश के कई शहरी इलाकों के साथ-साथ ग्रामीण इलाके भी वायु प्रदूषण की चपेट में आते जा रहे हैं। अब यह कोई नया-अनोखा तथ्य नहीं कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में बढ़ता वायु प्रदूषण आम लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। भले ही गत दिवस राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में पर्यावरण मंत्री ने एक विदेशी संस्था की उस रपट को खारिज कर दिया हो जिसमें कहा गया था कि भारत में प्रतिवर्ष करीब 12 लाख मौतें वायु प्रदूषण जनित कारणों से हो रही हैं, लेकिन क्या उनकी ओर से ऐसा कोई दावा किया जा सकता है कि वायु प्रदूषण की रोकथाम के मामले में राज्य सरकारें पर्याप्त सजग-सचेत हैं ?
यह एक तथ्य है कि वायु प्रदूषण या फिर जल प्रदूषण पर लगाम लगाना राज्यों की प्राथमिकता सूची में नजर ही नहीं आता। इसका एक प्रमाण ग्रामीण विकास एवं पेयजल आपूर्ति मंत्री की इस ताजा स्वीकारोक्ति से मिला कि देश में करीब 67 हजार गांवों में पानी पीने लायक नहीं है।
यह एक तथ्य है कि वायु प्रदूषण या फिर जल प्रदूषण पर लगाम लगाना राज्यों की प्राथमिकता सूची में नजर ही नहीं आता। इसका एक प्रमाण ग्रामीण विकास एवं पेयजल आपूर्ति मंत्री की इस ताजा स्वीकारोक्ति से मिला कि देश में करीब 67 हजार गांवों में पानी पीने लायक नहीं है।
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