eng
competition

Text Practice Mode

MAGI COMMERCIAL INSTITUTE TALKATORA ROAD ALAMBAGH LUCKNOW

created May 8th 2018, 05:55 by


0


Rating

492 words
137 completed
00:00
सुप्रीम कोर्ट ने उत्‍तर प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सरकारी बंगलों पर काबिज रखने वाले मनमाने कानून को रद कर बिल्‍कुल सही फैसला किया। ध्‍यान रहे कि इस कानून को सुप्रीम कोर्ट के उस पुराने फसले को खारिज करने के लिए ही बनाया गया था जिसमें उसने यह कहा था कि पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सरकारी बंगले आवंटित करने का कोई औचित्‍य नहीं। कायदे से तो उस फैसले के बाद ही सभी पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को स्‍वेच्‍छा से सरकारी बंगले छोड़ देने चाहिए थे, लेकिन तत्‍कालीन सपा सरकार ने उनसे बंगले खाली कराने के बजाय संबंधित कानून में संशोधन कर दिया। यह स्‍पष्‍ट ही है कि किसी भी राजनीतिक दल ने उसका विरोध नहीं किया। इसे लोकतंत्र की विकृति के अलावा और कुछ नहीं कहा जा सकता। लोकतंत्र में एसे किसी कानून के लिए कोई जगह नहीं हो सकती और ही होनी चाहिए। इस कानून के निर्माण ने यही बताया था कि नेताओं में सरकारी सुविधाओं का अनुचित लाभ उठाने की प्रवृत्ति किस हद तक बढ़ गई है। सुप्रीम कोर्ट के ताज फैसले के बाद उचित यही है कि सभी पूर्व मुख्‍यमंत्री बिना किसी देरी के खुद को आवंटित बंगले छोड़  दें। इसमें देरी हो, यह योगी सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए। यह एक किस्‍म की सामंतशाही के अलावा और कुछ नहीं कि मुख्‍यमंत्री पद से विदा होने के बाद भी नेतागण सरकारी बंगलों को अपने पास रखे रहें। ध्‍यान रहे कि कई ऐसे पूर्व मुख्‍यमंत्री भी राजधानी लखनऊ के विशिष्‍ट क्षेत्र में आवंटित बंगलों की सुविधा भोग रहे हैं जो अब राजनीति में सक्रिय भी नहीं हैं। यह एक तरह से सरकारी जमीन पर पिछले दरवाजे से कब्‍जा है।  
        सरकारी बंगलों पर येन-केन-प्रकारेण काबिज रहने की बीमारी उत्‍तर प्रदेश के साथ ही अन्‍य राज्‍यों में भी व्‍याप्‍त है। जैसे लखनऊ में छह पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सरकारी बंगले अपने पास ही बनाए रखने की सुविधा दी गई वैसी ही सुविधा कई अन्‍य राज्‍यों के पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को दी गयी है। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व मुख्‍यमंत्रियों को सरकारी बंगले आवंटित करने वाले उत्‍तर प्रदेश के कानून को ही रद किया और शेष राज्‍यों से कहा कि अपने स्‍तर पर फैसला लें इसलिए यह अंदेशा है कि वहां यथास्थिति कायम रहे। अच्‍छा होगा कि सुप्रीम कोर्ट यह समझे कि बिना स्‍पष्‍ट आदेश-निर्देश अन्‍य राज्‍यों में सरकारी बंगले अपात्र  लोगों से मुक्‍त होने वाले नहीं हैं। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र सरकार को भी यह देखना चाहिए कि दिल्‍ली में अपाऋ लोग सरकारी बंगलों की सुविधा तो नही भोग रहे हैं। हालांकि एक बार उसने कई नेताओं से सरकारी बंगले खाली कराए थे, लेकिन हैरत नहीं कि कुछ अपात्र लोग अभी भी किसी जुगत से सरकारी आवास की सुविधा हासिल किए हुए हों। इसकी निगाह जाती है। पूर्व नौकरशाह या फिर किस्‍म-किस्‍म की संस्‍थाओं और गैर सरकारी संगठनों के कर्ता-धर्ता निगाह से बचे रहते हैं। बेहतर होगा कि केंद्र सरकार इस संदर्भ में कोई ठोस कानून बनाए और सुप्रीम कोर्ट यह देखे कि राज्‍य सरकारें उससे इतर कानून बनाने पाएं।

saving score / loading statistics ...