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बद से बदतर हालत | info Explorer
created May 18th 2018, 15:55 by user1608444
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आज शिक्षित भारतीय युवाओं की दशा बद से बदतर हो चुकी है। आज हालत यह है कि जब किसी विभाग में चतुर्थ श्रेणी के लिए भी विज्ञापन आता है तो उसके लिए लाखों की संख्या में आवेदन किए जाते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि आवेदन करने वालों में अधिकांश छात्र वे होते हैं जिन्होंने मोटी रकम चुकाकर, अपना कीमती समय देकर बड़ी—बड़ी डिग्री हासिल की होती है। आप समझ ही गए होंगे कि कहने का मतलब क्या है। एक ऐसा आदमी जिसने काफी पैसे खर्च करके अच्छी पढ़ाई की और डिग्री हासिल की लेकिन वही आदमी एक समय पर चपरासी के लिए आवेदन कर रहा है तो इससे तो यही समझा जावेगा कि शिक्षित युवाओं की दशा किस प्रकार की है।
अभी हाल ही में एक विज्ञापन उत्तर प्रदेश विधान—सभा में चतुर्थ श्रेणी के अंतर्गत चपरासी पद के लिए जारी किया गया था जिसमें लाखों की संख्या में आवेदन किए गए और इनमें भी पूर्वानुसार ही अधिकांश युवा पी.एच.डी. सहित अन्य उच्च शिक्षा की डिग्री रखते थे। अब आप यह समझ लीजिए कि जिसने भविष्य में प्रोफेसर बनने का सपना सोचकर पी.एच.डी. किया हो और एक समय वही छात्र चपरासी के लिए आवेदन करे तो इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है।
यह स्थिति निर्मित क्यों हुई ? इसके कई कारण हैं जिनमें जनसंख्या वृद्धि, शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि, महंगाई और अन्य सामाजिक सस्याएं प्रमुख हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ बताई गई। जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है उस गति से हमारे संसाधनों का विकास नहीं हो रहा है जिसके चलते जीवन—यापन के प्रश्न को लेकर ही युवा रोजगार की तलाश में अपने शिक्षा के स्तर को भूलकर, सिर्फ नौकरी पाने के चक्कर में किसी भी वर्ग के पद के लिए आवेदन करने से नहीं हिचकिचाते हैं।
दूसरा, एक सर्वे में यह पाया गया कि भारत की आबादी में सबसे अधिक युवा हैं। यह तथ्य तो आपको विदित ही होगा कि भारत सबसे अधिक युवाओं वाला देश है। अब जबकि भारत में सबसे अधिक युवा हैं और जीवन—यापन के साधन सीमित हैं तो आप स्वयं ही इस बात को समझ सकते हैं कि युवा शिक्षा का स्तर देखे या अपने जीवन—मरण के प्रश्न को। यह दो मुख्य कारण हैं कि सभी युवा चतुर्थ श्रेणी के फॉर्म भी बहुतायत में भर देते हैं, भले ही उनके पास पी.एच.डी. या अन्य कोई डिग्री हो।
अभी हाल ही में एक विज्ञापन उत्तर प्रदेश विधान—सभा में चतुर्थ श्रेणी के अंतर्गत चपरासी पद के लिए जारी किया गया था जिसमें लाखों की संख्या में आवेदन किए गए और इनमें भी पूर्वानुसार ही अधिकांश युवा पी.एच.डी. सहित अन्य उच्च शिक्षा की डिग्री रखते थे। अब आप यह समझ लीजिए कि जिसने भविष्य में प्रोफेसर बनने का सपना सोचकर पी.एच.डी. किया हो और एक समय वही छात्र चपरासी के लिए आवेदन करे तो इससे शर्म की बात और क्या हो सकती है।
यह स्थिति निर्मित क्यों हुई ? इसके कई कारण हैं जिनमें जनसंख्या वृद्धि, शिक्षित बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि, महंगाई और अन्य सामाजिक सस्याएं प्रमुख हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत की आबादी 121 करोड़ बताई गई। जनसंख्या जिस गति से बढ़ रही है उस गति से हमारे संसाधनों का विकास नहीं हो रहा है जिसके चलते जीवन—यापन के प्रश्न को लेकर ही युवा रोजगार की तलाश में अपने शिक्षा के स्तर को भूलकर, सिर्फ नौकरी पाने के चक्कर में किसी भी वर्ग के पद के लिए आवेदन करने से नहीं हिचकिचाते हैं।
दूसरा, एक सर्वे में यह पाया गया कि भारत की आबादी में सबसे अधिक युवा हैं। यह तथ्य तो आपको विदित ही होगा कि भारत सबसे अधिक युवाओं वाला देश है। अब जबकि भारत में सबसे अधिक युवा हैं और जीवन—यापन के साधन सीमित हैं तो आप स्वयं ही इस बात को समझ सकते हैं कि युवा शिक्षा का स्तर देखे या अपने जीवन—मरण के प्रश्न को। यह दो मुख्य कारण हैं कि सभी युवा चतुर्थ श्रेणी के फॉर्म भी बहुतायत में भर देते हैं, भले ही उनके पास पी.एच.डी. या अन्य कोई डिग्री हो।
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