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inscript typing hindi

created May 21st 2018, 15:21 by MOHITBHARDWAJ1487462


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महोदय, मैं कोई अर्थशास्त्री तो नहीं हूँ, परंतु मैं भारत के लोगों के बारे में थोड़ा-बहुत जानने का दावा करती हूँ। मैं उनकी कठिनाइयों और आकांक्षाओं से परिचित हूँ। पिछले 6 महीनों में कोई भी दिन ऐसा नहीं गया, जब मैं देश के हर भाग के कम-से-कम 200 लोगों से मिली हूँ। किसी-किसी दिन तो मैंने 500 व्यक्तियों से भेंट की है। मैं यह स्वीकार करती हूँ कि जब मैं उनसे मिलती हूँ तो जिन सफलताओं को गर्व की दृष्टि से देखती हूँ, योजनाओं के आकार का प्रश्न तब भी उठाया गया था। जबकि मैं सूचना और प्रसारण मंत्री तब भी मैं छोटे आकार की योजनाओं के विरुद्ध थी। हमें इसके मनोवैज्ञानिक और राजनीतिक पहलुओं पर विचार करना चाहिए, छोटी योजनाएँ जनता की आवश्यकताएँ पूरा कर पाएँगी।
जब उस दिन मैं आन्ध्र में थी। वहाँ मुझसे गरीब-से-गरीब आदमी मिलने आया और कहने लगा कि हमें इस्पात का कारखाना जरूर चाहिए। मैंने उन्हें बताया कि मैं आपकी बात योजना आयोग तक पहुँचा दूँगी और वही अंतिम निर्णय लेगी। मैंने उनसे पूछा, क्योंकि इस्पात के कारखाणों पर तो भारी लागत आयेगी, इसलिए उसके बदले में क्या आप कुछ सिंचाई के कार्यों को तरजीह नहीं देंगे? उन्होंने जवाब दिया कि सिंचाई का इंतजाम तो हम स्वयं कर लेंगे। उन्होंने मुझसे यह भी पूछा कि अगर हम इस्पात के कारखानों के लिए धन एकत्र करें तो क्या ठी है? इसमें उचित होगा, बहुत-से लोग इस्पात कारखानों को प्रतिष्ठा की बात मानते हैं। जिन दिनों मास्को में भुखमरी फैली हुई थी और लोगों को राशन में एक आलू मिलता था।
 

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