eng
competition

Text Practice Mode

दिवेश कुमार मीणा पान भण्डार काशीपुर वाले उर्फ राजस्थान वाले (कम्बल तथा फलूदा) नया पताः निकट चीमा काम्पलेक्स काशीपुर

created May 23rd 2018, 19:39 by GurmeetShekho


0


Rating

258 words
6 completed
00:00
गणतन्त्र दिवस की परेड को देखने का उत्साह तो देखते ही बनता है। देश के कोन-कोने से परेड को देखने के लिए लोग राजपथ से लेकर लालकिले तक परेड मार्ग के दोनों ओर जमा होते है। इस दिन दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन लालकिले तथा अन्य सरकारी भवनों पर की गयी रोशनी अत्यन्त आकर्षक दृश्य प्रस्तुत करती है। हमारा दूसरा राष्ट्रीय पर्व स्वतन्त्रता दिवस है। शताब्दियों की परतन्त्रता के बाद हमारा देश 15 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्र हुआ था। यह स्वतन्त्रता हमें अनायास ही नहीं मिल गयी, इसके लिए भारतीयों को लम्बा संघर्ष करना पड़ा है। इसके लिए भारतवासियों को अपने बलिदान देने पड़े काल-कोठरियों में अमानुषिक यातनाएँ सहन करनी पड़ी। लाठियाँ, गोलियां खानी पड़ी। स्वतन्त्रता के लिए पहला स्वतन्त्रता संग्राम सन 1857 में लड़ा गया। इसमें झांसी की रानी लक्ष्मीबाई, नाना साहब, तात्यां टोपे, बाहदुर शाह जफर आदि के नेतृत्व में भारतीयों ने अंग्रेजों से सशस्त्र संघर्ष किया, किन्तु यह स्वतन्त्रता संग्राम अपनी कतिपय कमजोरियों के कारण सफल हो सका। अंग्रेजों ने इसे क्रुरता से कुचल दिया। स्वतन्त्रता का यह संघर्ष बेशक कुचल दिया गया था, लेकिन भारतीयों के मन में स्वतन्त्रता की चिंगारी धीरे-धीरे सुलगती रही। समय पाकर यह चिंगारी सुलग उठी। देश में स्वतन्त्रता के लिए आन्दोलन होने लगे। क्रान्तिकारी संगठन बने। सुभाषचन्द्र बोस ने आजाद हिन्द सेना का गठन कर सशस्त्र संघर्ष किया किन्तु महात्मा गांधी के हाथों में स्वतन्त्रता आन्दोलन सत्याग्रह अहिंसा असहयोग बहिष्कार और भारत छोड़ो आन्दोलन के रूप में चलता रहा। महात्मा गांधी के इन्हीं आन्दोलनों के कारण हमें स्वतन्त्रता प्राप्त हुई।  

saving score / loading statistics ...