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रोहित टाइपिंग शार्टहैण्ड एंड कम्प्यूटर सेन्टर चकिया राजरूपपुर इलाहाबाद HVM Public school (Typing 250 words) Remington(Gail)High Court exam contact: 8858565698, 8299289045
created Jul 18th 2018, 02:31 by KapilMuni1594500
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भारतीय संवि-धान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया है। “ दिसम्बर 1992 में पारित संवि-धान का 73वां संशोधन पंचायत सम्बन्धी उपबन्धों पर प्रकाश डालता हैं इसमें यह व्यवस्था है कि प्रत्येक राज्य में गांव तथा जिला स्तर पर पंचायतें स्थापित की जाएगी। ” पंचायतों को चुनाव कराना अनिवार्य है। ! सभी पंचायतें में महिलाओं, अनुसूचित जातियों को नियमानुसार आरक्षण प्राप्त है, उन्हें कराधान करने की शक्ति प्राप्त है। पंचायतों का कार्यकाल पांच वर्ष का है। उनलका अपना बजट होगा तथा अपने अधिकार क्षेत्र की सूची होगी। पंचायतों के चुनाव कराने के लिए प्रत्येक राज्य में एक निर्वाचन आयुक्त होगा और पंचायतों को आर्थिक सहायता वित्त आयोग प्रदान करेगा। लोकतन्त्र में सत्ता का विकेन्द्रीकरण होना चाहिए इसी सिद्धान्त के आधार पर पंचायती राज की परिकल्पना की गई है। 12 सितम्बर, 1959 को राज्स्थान के नागौर जिले में पंचायती राज का उद्घाटन किया। |
पंचायतों को अपने क्षेत्र का विकास करने, योजना बनाने, संसाधन जुटाने तथा पारस्परिक विवाद सुलझाने का अधिकार प्राप्त है। उनका महत्व किसी भी प्रकार से कम करके नहीं आंका जा सकता। – इससे ग्रामीणों में राजनीतिक चेतना उत्पन्न हुई है और महिलाओं में जागरूकता आई है। — यदि पंचायती राज व्यवस्था को सुचारु रूप से क्रियान्वित किया जा सका तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के गांवों का कायाकल्प हो जाएगा। • भले ही इन पंचायतों ने राजनीतिक एवं जातिगत विद्वेष बढ़ा दिए हों किन्तु इनकी प्रभावी से इन्कार नहीं किया जा सकता। गांधी जी के स्वराज की कल्पना ही इन पंचायतों से ही साकार हो सकेगी। ?
पंचायतों को अपने क्षेत्र का विकास करने, योजना बनाने, संसाधन जुटाने तथा पारस्परिक विवाद सुलझाने का अधिकार प्राप्त है। उनका महत्व किसी भी प्रकार से कम करके नहीं आंका जा सकता। – इससे ग्रामीणों में राजनीतिक चेतना उत्पन्न हुई है और महिलाओं में जागरूकता आई है। — यदि पंचायती राज व्यवस्था को सुचारु रूप से क्रियान्वित किया जा सका तो वह दिन दूर नहीं जब भारत के गांवों का कायाकल्प हो जाएगा। • भले ही इन पंचायतों ने राजनीतिक एवं जातिगत विद्वेष बढ़ा दिए हों किन्तु इनकी प्रभावी से इन्कार नहीं किया जा सकता। गांधी जी के स्वराज की कल्पना ही इन पंचायतों से ही साकार हो सकेगी। ?
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