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created Oct 10th 2018, 07:12 by akash khare


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किसान माटी के समृत होते हैं। वे मिट्टी से सोना उपजाते हैं। वे अपने श्रम से संसार का पेट भरते हैं। वे अधिक पढ़े-लिखे नहीं होते परंतु उन्‍हें खेती की बारीकियों का ज्ञान होता है। वे मौसम के बदलते मिजाज को पहचान कर तदनुसार नीति निर्धारित करने में दक्ष होते हैं। सचमुच प्रकृति के सहचर होते हैं हमारे किसान। किसानों का मुख्‍य पेशा कृषि है। पशुपालन उनका सहायक पेशा है। पशु कृषि कार्य में उनका सहयोग करते हैं। बैल उनका हल और गाड़ी खींचते हैं। गाय उनके लिए दूध, गोबर और बछड़े देती है। वे भैंस, बकरी आदि भी पालते हैं जिनसे उन्‍हें अतिरिक्‍त आमदानी होती है। इन पालतू पशुओं को पालने में उन्‍हें विशेष कठिनाई नहीं होती क्‍योंकि ये कृषि उत्‍पादों यथा पुआल, भूसा, खली, अनाज खाकर जीवित रहते हैं। पशुओं के लिए घास खेतों और बागानों से उपलब्‍ध हो जाता है। किसान बहुत परिश्रमी होते हैं। वे खेतों में जी-तोड़ श्रम करते हैं। वे मेहनत करके अनाज, फल और सब्जियां उगाते हैं। खेतों में फसल उगाने के लिए अच्‍छी तरह जुते हुए खेतों में बीज डाला जाता है। बीजों में अंकुर निकल आता है और धीरे-धीरे ये पौधा का रूप ले लेते हैं। पौधों की सिंचाई की जाती है। पौधों के बीच उग आए खर-पतवार निकालकर खेतों में खाद डाला जाता हैं। आवश्‍यकता पड़ने पर किसान कीटनाशकों का प्रयोग भी करते हैं। लहलहाती फसलों को देखकर किसान प्रसन्‍न हो उठते हैं। वे फसलों की लगातार निगरानी करते हैं। फसलों को पशुओं और चोरों से सुरक्षित रखने के लिए वे खेतों में मचान बनाकर वहीं सोते हैं। पकी फसलों की कटाई की जाती है, तत्‍पश्‍चात उनसे अनाज के दाने निकाले जाते हैं। अनाज का भूसा मवेशियों के भोजन के लिए सुरक्षित रख लिया जाता है। जरूरत भर का अनाज और सब्‍जी घर में रखकर शेष मंडियों में बेच देते हैं। इनसे हुई आमदानी से उनका साल भर का गुजारा होता है। हमारे देश के किसानों को कृषि कार्य में विभिन्‍न प्रकार की समस्‍याओं से दो-चार होना पड़ता है। सबसे बड़ी समस्‍या है कृषि में आने वाली लागत जो दिनों-दिन बढ़ती चली जा रही है। किसानों को अच्‍छे बीज खरीदने पड़ते हैं जो बहुत महंगे दामों में मिलते हैं। टैक्‍टरों या हल-बैल से खेत की जुताई भी अासान नहीं होती है। खेतों में सिंचाई के लिए बिजली या पंपसैट की आवश्‍यकता होती है।
    रिश्‍वत के प्रकरण में सामान्‍यत: दो पक्ष लिप्‍त होते हैं, एक वह पक्ष जो रिश्‍वत देता है और दूसरा वह जो रिश्‍वत लेता है, रिश्‍वत लेना देना दोनों ही आपराधिक कृत्‍य माने जाते हैं, परन्‍तु इस संबंध में प्राय: यह विवाद की बात मानी जाती है कि रिश्‍वत के कार्य से संबंधित दोनों पक्षों में कौन इस कृत के लिए उत्‍तरदायी है इस संबंध में अपना कोई निश्चित विचार बनाने से पहले हमें दोनों पक्षों का परीक्षण कर लेना चाहिए।
    

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