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MGSCTI MORENA ADDMISION OPEN FOR SHORTHAND AND CPCT MOB-7470639002 (MP HIGH COURT AG-3 HINDI TYPING DIC 25/04/2019)
created Dec 7th 2018, 02:55 by Ankush Sengar
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अभिसाक्ष्य 2 के साक्ष्य के पूर्वोक्त पहलुओं से स्पष्टता यह उपदर्शित होता है कि अभिसाक्ष्य 2 को विश्वसनीय साक्षी नहीं माना जा सकता है केवल एक छोटी सी क्षति के सिवाय कोई अन्य क्षति न होने से यह पता चलता है कि पुलिस कर्मी पर पूर्ण हमला होने से पूर्व अभिसाक्ष्य 2 भाग गया था यदि अभिसाक्ष्य 2 ने वास्तव में अपीलार्थी संख्या 1 से 5 को मृतक प्रभारी अधिकारी पर आक्रमण करते हुए देखा था और इस प्रकार इत्तिला रिपोर्ट में उनके नाम क्यों नहीं उपदर्शित किए गए। तथापि, अभिसाक्ष्य संख्या 14 (जिसे विचारण न्यायालय ने अन्यथा छोड़ दिया) ने यह अभिसाक्ष्य दिया कि पुलिस टेन्ट में आग लगाए जाने तक, अभिसाक्ष्य संख्या 2 घटनास्थल के आसपास उपस्थित नहीं था और कहीं चला गया था। मृतक प्रभारी अधिकारी पर हमले के बारे में प्रतिकूल कथन किया जाना इस तथ्य का घोतक है कि संभावना अभिसाक्ष्य संख्या 2 ने घटना के उस भाग को नहीं देखा था। यदि वह वास्तव में उपस्थित होता तो यह समझ में नहीं आता कि वह फायरिंग की घटना और फायरिंग के कारण प्रभारी अधिकारी को हुए घाव के बारे में शान्त क्यों रहा। जैसा कि पहले उपदर्शित किया गया है अभिसाक्ष्य संख्या 8 का साक्ष्य बिपिन महन्ती की केवल लाठी से मृतक के सिर पर हमला करने की भूमिका के बारे में है। ऐसे प्राख्यान की संपुष्टि के लिए किसी क्षति के अभाव में अभिसाक्ष्य संख्या 8 या अभिसाक्ष्य संख्या 2 के साक्ष्य के इस भाग को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। यह ध्यातव्य है कि प्रथम इत्तिला रिपोर्ट में भी बिपिन महन्ती द्वारा मृतक प्रभारी अधिकारी के सिर पर ऐसे किसी हमले का कोई वर्णन नहीं है। इन खामियों के अलावा भी, यह प्रतीत होता है कि अभिसाक्ष्य संख्या 8 ने स्वयं कतिपय थाना डायरी प्रविष्टि तैयार किए थे जिसमें केवल यह वर्णन है। पांडव स्वैन और उसके समर्थकों द्वारा हमले के कारण में क्षतिग्रस्त हो गया। अभिसाक्ष्य संख्या 8 द्वारा बनाई गई यह थाना डयरी प्रविष्टि पूर्णत: मृतक ए.के. कानूनगो पर किसी हमले के कथन करने के बजाय कम से कम स्वयं प्रभारी अधिकारी जैसे व्यक्ति पर हुए हमले के बार में उपदर्शित करने के असफल न रहता । पूर्वोक्त कारणों, से अभिसाक्ष्य संख्या 2 और 8 के अविश्वसनीय साक्ष्य के आधार पर अपीलार्थी 1 से 5 की दोषसिद्धि कायम नहीं रखी जा सकती।
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