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अब तुम मेरे पास आओ और अपना प्रकरण पेश करो। आपस में झगड़ना पेश्तर बाहर के लोगों का काम नहीं होना चाहिए। यह खराब बात है। देर रात तक घर आना और धीरे-धीरे काम करना तथा परिवार से दूर रहना या इधर-उधर, जिधर-तिधर भटकना अच्छा नहीं होता। कल काला नाग केवल मुश्किल का कारण था। काबिल लोग उसे निकाल लाये नहीं तो वह बिला जाता बल्कि वे लोग बिल्कुल ठीक समय पर मेम्बर सहित अपने नम्बर पर आ गये। इस हफ्ता अपना हिस्सा हमेशा की तरह क्यों नहीं बांटा। हिन्दुस्तान का हिन्दू हिन्दी बोलना ज्यादा ठीक समझता है। अधिक जल गिरने के कारण सारा जलसा बेकार हो गया और जल्दी बिजली न आने से जेल के पास अंधेरा सा हो गया तथा साधारण लोग सारा सामान नहीं ला सके। सबेरा होते ही सर्वधर्म सभा शुरू हो गई। राम आ गया। पिताजी आये, सोहन आता होगा। वैसे सभी को आना चाहिए। आप आओ। मामाजी आप भी आइये। स्वराज्य प्राप्त करने में स्वयं स्वतंत्र भाव से लोग लगे थे, एवं इसका स्वरूप भी स्वीकार कर स्वतन्त्रता प्राप्ति का प्रस्ताव बनाकर रास्ता निकालने की कोशिश कर रहे थे। अत्र-तत्र सर्वत्र खुशियाँ ही खुशियाँ थीं। लेकिन अंग्रेज त्रस्त होकर प्रस्थान करने की तैयारी कर रहे थे। जनता अचम्भा कर रहे थे। मुझे भी बारम्बार परतन्त्रता की याद आती थी और सोचता था परमात्मा कब यह राज्य समाप्त हो। कई महाशय, मुसीबत महसूस कर रहे थे तथा कई मुसलमान कर रहे थे तथा कई मुसलमान पाकिस्तान को मुस्लिम मुल्क मानकर प्रस्थ्ज्ञन करने की तैयारी में थे। अगर अंग्रेज बगैर युद्ध के भी भारत छोड़ देते तो युवक यथार्थ में सन्तोष प्राप्त करता किन्तु अंग्रेज थोप कर कठिन परेशानी खड़ी कर दी थी। एक लम्बा चौडा खेत खरीदो और उसके बीच में एक ऊँचा मकार बनाओ यह पूरा कार्य परसों नहीं वरसों में पूरा होगा। परस्पर मेंल रखो अर्थात् इसका भी कोई अतिरिक्त उदाहरण खोजो। खाना खाते वक्त इधर-उधर मत देखा करो। इस तरह देखना बुरी आदत होती है। खुद अखबार पढ़ो। तथा खूब मेहनत करो तभी आपकी मदद कोई करेगा। यह कैसी अदभुत बात है कि फिर उस पर दफा लगा दी अब उसमें या इसमें फर्क ही क्या रहा ? अन्तर तो तब होता जब अधिकतर लोग अन्दर न होकर अन्यत्र चले जाते। इसमें विपत्ति की क्या बात है अपना व्यापार बन्द करके वापिस घर आ जाओ। बे-वजह क्यों परेशान होते हो, वाजिब दाम लेकर सम्पत्ति बेच दो विधि विरुद्ध जाने की क्या जरूरत। विद्वान लोग विद्या अर्जन करने के लिये विद्यार्थी बनकर बनकर विषय प्रारम्भ कर देते हैं और अपनीं नींव मजबूत कर अटकल एवं उल्टा अर्थ नहीं लगाते।
