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MGSCTI MORENA ADDMISION OPEN FOR SHORTHAND AND CPCT MOB-7470639002 (MP HIGH COURT AG-3 HINDI TYPING TEST 11/10/2019)

created Dec 11th 2018, 00:50 by anamika tomar


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जहां तक इस मामले का सम्‍बंध है न्‍यायालय के समक्ष इस सम्‍बंध में कोई विवाद नहीं है कि आवेदिका-पत्‍नी के पक्ष में पारित किया गया भरणपोषण का आदेश अधिनियम के प्रवृत्‍त होने से पहले पारित किया गया था और पुनरीक्षण न्‍यायालय ने उक्‍त आदेश की अभिपुष्टि की थी। वास्‍तव में, प्रत्‍यर्थी अधिनियम के अनुसार भरणपोषण भत्‍ते का भुगतान भी कर रहा है और तलाक 9/10 वर्ष के बाद दिया गया था। स्‍वीकृतत: दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अधीन भरणपोषण भत्‍ते का आदेश पारित किया गया था और विधि के उपर्युक्‍त उपबंध के अधीन कोई तलाकशुदा पत्‍नी भी भरणपोषण भत्‍ता प्राप्‍त करने के हकदार है और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 127 के अधीन भरणपोषण के आदेश को रद्द करने का आधार विवाह विच्‍छेद नहीं है। इस अधिनियम में कहीं भी यह उपबंध नहीं किया गया है कि इस अधिनियम के उपबंध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 पर अभिभावी होंगे या दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अधीन पारित किए गए किसी आदेश को इस अधिनियम के प्रवृत्‍त हो जाने के पश्‍चात् परिवर्तित किया जा सकता है या उसे अपास्‍त किया जा सकता है आवेदिका ने कभी भी इस अधिनियम के अधीन कोई अनुतोष नहीं मांगा था और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अधीन उसके आवेदन का निपटारा किया गया था। इस मामले का एक और अन्‍य पहलू यह भी है कि विवाह विच्‍छेद पर अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 3 में यह उपबंध किया गया है कि इद्दत की अवधि के भीतर तलाकशुदा स्‍त्री अपने भूतपूर्व पति से युक्तियुक्‍त और उचित व्‍यवस्‍था करवाए जाने और भरणपोषण भत्‍ते का उसके पति द्वारा संदाय किए जाने की हकदार है। इस अधिनियम की धारा 3(2) के अधीन यदि तलाकशुदा स्‍त्री के लिए उचित व्‍यवस्‍था और शोध्‍य भरणपोषण भत्‍ता नहीं दिया जाता है तो वह ऐसी व्‍यवस्‍था किए जाने और भरणपोषण भत्‍ते का भुगतान करने के लिए आदेश करने के लिए सक्षम मजिस्‍ट्रेट के समक्ष आवेदन फाइल कर सकती है। इसलिए भूतपूर्व पति इद्दत की अवधि के दौरान भरणपोषण भत्‍ते का भुगतान करने और अपनी भूतपूर्व पत्‍नी के लिए युक्तियुक्‍त और उचित व्‍यवस्‍था करने का दायी है।

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