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created Feb 15th 2019, 11:06 by VivekSen1328209
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11 अप्रैल 2011 की घटना ने प्रसिद्ध वालीबाल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा की जिन्दगी को बदल कर रख दिया। वो पद्मावती एक्सप्रेस से लखनऊ से दिल्ली आ रही थी। बरेली के पास पहुंचते ही कुछ लुटेरों ने उनकी सोने की चैन को छीनने का प्रयत्न किया। अरुणिमा सिन्हा के द्वारा चैन देने से मना करने पर लूटेरों ने अरुणिमा सिन्हा को चलती ट्रेन से नीचे गिरा दिया। इस घटना में अरुणिमा सिन्हा का एक पैर ट्रेन के पहिये के नीचे आ गया जिसके कारण उन्हें अपना बायां पैर खोना पड़ा। इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था उनका दिल्ली के आल इंडिया इंस्टिट्यूट मेडिकल एम्स में चार महीनों तक इलाज चला। उनके दाएं पैर में लोहे की छड़ डाली गई थी। ईलाज पूरा होने के बाद अब अरुणिमा सिन्हा के पास बस एक ही लक्ष्य था और वो लक्ष्य था दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर फतह हासिल करना। हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने के बाद ही अरुणिमा सिन्हा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला बिछेन्दरी पॉल से मिलने गई। बिछेन्दरी पॉल ने अरुणिमा सिन्हा को कुछ दिन आराम करने की सलाह दी परन्तु अरुणिमा सिन्हा ने आराम करने से मना कर दिया अरुणिमा सिन्हा ने बिछेन्दरी पॉल की निगरानी में रहकर कठिन अभ्यास किया माना अरुणिमा सिन्हा ने तो माउंट एवरेस्ट पर जाने का एक लक्ष्य ही बना लिया था।
55 दिनों के कठिन परिक्षण के बाद आखिरकार अरुणिमा सिन्हा ने 21 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट पर जीत हालिस कर ही डाली इसके साथ ही वो माउंट एवरेस्ट पर जाने वाली दुनिया की पहली विकलांग महिला बनी। इसके बाद अरुणिमा सिन्हा ने अपने कार्य को यहीं नहीं छोड़ा उन्होंने तो दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने का लक्ष्य बनाया। इनमें से कुछ चोटियों पर तो उन्होंने विजय हासिल कर ली है और अपने देश का झंड़ा लहरा चुकी हैं।
55 दिनों के कठिन परिक्षण के बाद आखिरकार अरुणिमा सिन्हा ने 21 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट पर जीत हालिस कर ही डाली इसके साथ ही वो माउंट एवरेस्ट पर जाने वाली दुनिया की पहली विकलांग महिला बनी। इसके बाद अरुणिमा सिन्हा ने अपने कार्य को यहीं नहीं छोड़ा उन्होंने तो दुनिया की सबसे ऊंची चोटियों को फतह करने का लक्ष्य बनाया। इनमें से कुछ चोटियों पर तो उन्होंने विजय हासिल कर ली है और अपने देश का झंड़ा लहरा चुकी हैं।
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