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सीपीसीटी 28 अक्‍टूबर 2018 शिफ्ट - 2 (सौरभ कुमार इन्‍दुरख्‍या)

created Feb 18th 2019, 17:38 by sourabh indurkhya


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    जीवन में भगवान सबको समान अवसर देते हैं।  कुछ लोग इन अवसरों की गंभीरता को समझते हुए इन अवसरों का लाभ उठाते हैं। पर कुछ ऐसे भी होते है जो हमेशा भगवान भरोसे होते है और इंतजार करते रह जाते हैं। एक बार की बात है एक नदी के पास ही एक शहर था जहां पर सब लोग सुख से जीवन बिता रहे थे एक दिन भयंकर बरसात हुए जिसकी वजह से नदी का पानी ऊपर आने लगा। देखते ही देखते शहर में जल सैलाब गया और सभी लोग अपनी जान बचाने के लिए शहर से दूर जाने लगे। एक तरफ जहां सब हो रहा था वहीं दूसरी तरफ एक इंसान था जिसे भगवान पर भरोसा था कि उसे भगवान पर भरोसा था कि उसे कुछ नहीं होगा। इसलिए वह शहर से दूर जाने की वजह पास के ही मंदिर में चला गया। भंयकर बारिश और नदी में सैलाव के कारण पानी खतरे के निशान से ऊपर गया। भागमभाग में लोगों की नजर मंदिर में बैठे उस आदमी पर गयी। तो सबने उसको साथ चलने के लिए कहा। लेकिन उस इंसान से सबके साथ जाने से मना कर दिया और कहा कि वह भगवान की शरण में है और उसे कुछ नहीं होगा। ऐसा सुन वे लोग वहां से चले गए। कुछ समय बाद नाव के सहारे उस आदमी को बचाने आये। जब उस आदमी को साथ चलने को कहा तो उसने इस बार भी जाने से मना कद दिया। उसने कहा कि वह औरो की तरह नहींं है जो भगवान में भरोसा ना रखे। भगवान उसे खुद बचाने जाऐंगे। जैसे जैसे नदी का पानी उफान मार रहा था और सब कुछ तहस नहस कर रहा था वैसें वैसें उस आदमी का डर भी उजागर हो रहा था। उसे लगने लगा कि वह सुरक्षित नहीं रह पायेंगा। इसलिए वह अपनी जान बचाने के लिए मंदिर के टिले पर चला गया। पर सैलाब थम नहीं रहा था। उसने भगवान को खूब याद किया। पर भगवान सामने नहीं आये। फिर कुछ लोग वायुयान से सैलाब में फसे उस आदमी की मदद करने आये। इस समय वह चाहता तो वायुयान में जाकर अपनी जान बचा सकता था लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। बहुत समझाने के बाद भी वह आदमी वायुयान में नहीं गया। अंत में वायुयान भी वहां से चला गया। समय बितता गया और हालात और अधिक खराब होने लगे। यह सब देखकर वह रोने लगा और भगवान से शिकायत करने लगा कि वह उसको बचाने नहीं आये। तब भगवान ने उसके मन में कहा कि वे उसे तीन बार बचाने आए पर उसने ही सभी अवसर खो दिए। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ और मन ही मन बहुत पछताया।            

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