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श्री वास्तव टाइपिस्ट दिल्ली
created Mar 6th 2019, 13:29 by VedPrakash59
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				पिछले दिनों भारत की यात्रा पर आए सऊदी अरब के सहजादे मोहम्मद बिन सलमान को लेकर हमारे देश में होने वाली चर्चा मोटे तौर पर  इस बात पर केंद्रित रही कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान को लेकर संतुलन कायम करने की कोशिश की। उनकी यह यात्रा पुलवामा हमले के तुरन्त बाद हुई और यही वक्त था जब भारत पाकिस्तान को लेकर अपना रूख सख्त कर रहा था। परन्तु इसके अलावा भी इस यात्रा के व्यापक भू सामरिक महत्व को हमें समझना पड़ेगा। सऊदी अरब के रिश्ते अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ तेजी से खराब हो रहे हैं और एबीएस की कोशिश यह संकेत देने की थी कि उनका देश चीन और भारत जैसे एशियाई देशों के साथ तालमेल बेहतर करने में लगा है। वह दुनिया को यह भी दिखाना चाहते थे कि वह इतने अलग भी नहीं हैं, जितना समझा जा रहा है। यह उनकी सामरिक नीति है जो एमबीएस की आलोचना करने वालों को यह बताती है कि वह वैश्विक स्तर पर अभी भी एक सफल नेता हैं और वैश्विक शक्ति से जुड़े अहम राष्ट्रों में उनका काफी असर है। 
पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब के रिश्ते काफी पुराने हैं जिन्हें उसने नया दम दिया। यह एक ऐसी साझेदारी है जिसमें सऊदी अरब पाकिस्तान को आर्थिक बुनियादी मदद पहुंचा रहा है और बदले में उसे और वहां के शाही परिवार को वहां की सेना का संरक्षण मिलता है। जैसा कि इमरान ख़ान ने हाल ही में कहा था, हमने हमेशा कहा है कि अगर इस्लाम के पवित्र देशों को कोई खतरा उत्पन्न हुआ तो पाकिस्तान उन्हे बचाने का पूरा प्रयास करेगा। हाल ही के महीनों मे सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 600 करोड़ डालर का जो ऋण दिया है वह भी अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बातचीत की दृष्टि से बहुत अहम रहा है। अपनी पाकिस्तान की यात्रा के दौरान एमबीएस ने 1000 करोड़ डालर के समझौतों पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते ग्वादर में रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल काम्पलेक्स बनाने के लिए किये गए। ग्वादर चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारिडोर पर स्थित है और वह एक बेल्ट, एक रोड पहल की दृष्टि से भी बेहतर है। यह परियोजना सऊदी कंपनी को बलूचिस्तान प्रान्त में जगह देगी जहां से आवश्यकता पड़ने पर ईरान को निशाना बनाया जा सकता है। साथ ही उसे चीन के साथ साझेदारी विकसित करने का अवसर भी मिलेगा।
 
			
			
	        पाकिस्तान के साथ सऊदी अरब के रिश्ते काफी पुराने हैं जिन्हें उसने नया दम दिया। यह एक ऐसी साझेदारी है जिसमें सऊदी अरब पाकिस्तान को आर्थिक बुनियादी मदद पहुंचा रहा है और बदले में उसे और वहां के शाही परिवार को वहां की सेना का संरक्षण मिलता है। जैसा कि इमरान ख़ान ने हाल ही में कहा था, हमने हमेशा कहा है कि अगर इस्लाम के पवित्र देशों को कोई खतरा उत्पन्न हुआ तो पाकिस्तान उन्हे बचाने का पूरा प्रयास करेगा। हाल ही के महीनों मे सऊदी अरब ने पाकिस्तान को 600 करोड़ डालर का जो ऋण दिया है वह भी अंतराष्ट्रीय मुद्रा कोष से बातचीत की दृष्टि से बहुत अहम रहा है। अपनी पाकिस्तान की यात्रा के दौरान एमबीएस ने 1000 करोड़ डालर के समझौतों पर हस्ताक्षर किए। ये समझौते ग्वादर में रिफाइनरी और पेट्रोकेमिकल काम्पलेक्स बनाने के लिए किये गए। ग्वादर चीन-पाकिस्तान आर्थिक कारिडोर पर स्थित है और वह एक बेल्ट, एक रोड पहल की दृष्टि से भी बेहतर है। यह परियोजना सऊदी कंपनी को बलूचिस्तान प्रान्त में जगह देगी जहां से आवश्यकता पड़ने पर ईरान को निशाना बनाया जा सकता है। साथ ही उसे चीन के साथ साझेदारी विकसित करने का अवसर भी मिलेगा।
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