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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || Anshul Khare Guddu

created Apr 14th 2019, 09:31 by AnshulKhareGuddu


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वर्ष 1963 की बात है। राम मनोहर लोहिया ने तत्‍कालीन प्रधानमंत्री  जवाहर लाल नेहरू की सुरक्षा में प्रतिदिन 25 हजार रूपये खर्च किये जाने का मुद्दा उठाया भारत में उस समय गरीब के जीवन स्‍तर जिसकी रोजाना की आय तीन आना थी, को देखें तो यह काफी गंभीर विषमता थी। नेहरू ने इस पर बहस के दौरान योजना आयोग के आंकड़े पेश करते हुये दावा किया कि गरीब की रोजाना की आय 15 आना है। राम मनोहर लोहिया और नेहरू के बीच आर्थिक विषमता पर लंबी बहस हुई। इस दौरान एक के बाद एक संसद सदस्‍यों ने बोलने के लिए मिला अपना तय समय भी इन दोनों महान वक्‍ताओं के लिए त्‍याग दिया ताकि इस मुद्दे पर बहस अपने अंजाम को पहुंच सके। इस सभ्‍य बहस में, जिसमें बुलंद दामों की नीचाई और चिंताजनक हालात के आंकड़े थे, कोई टोका-टाकी ही आक्रमकता का प्रदर्शन था। वर्ष 1948 में बी आर अम्‍बेडकर के नेतृत्‍व वाली कमेटी द्वारा तैयार किये गये हिंदू कोड बिल का मसौदा बेहद विवादास्‍पद था, जिसके द्वारा हिंदू, जैनियों, बौद्धो और जनजातियों पर लागू होने वाले विभिन्‍न वैयक्तिक और नागरिक कानूनों को खत्‍म करके उनकी जगह संहिताबद्ध कानून लागू किया जाना था इस कानून द्वारा जाति का वैधानिक महत्‍व खत्‍म कर, तलाक को मुमकिन बनाना विधवाओं महिलाअेां को भी संपत्ति में अधिकार दिया जाना था। हिंदू कोई बिल पर पचास घंटे से भी ज्‍यादा बहस चली। संसद ने इस बिल की रोलेक्‍ट एैक्‍ट से तुलना की गई और डॉक्‍टर राजेन्‍द्र प्रसाद ने इसे भेदभाव वाला बताया कुछ सदस्‍यों ने तो यहां तक टिप्‍पणी की कि हिंदू धर्म खतरे में है इसके अलावा कुछ महान भाषणों को याद कीजिए जो हमारी संसद की यादगार निशानियां बन चुके हैं। वर्ष 1949 में अम्‍बेडकर का ग्रामर ऑफ एनार्की भाषण संसद को हमारे सामाजिक और आर्थिक लक्ष्‍यों को हासिल करने का मुद्दा और सिविल नाफरमानी, सहयोग और सत्‍याग्रह को छोड़ देने का आग्रह करता है। भारत की पहली उपग्रह को अंतरिक्ष में छोड़े जाने के मौके पर इंदिरा गांधी की खिंचाई करते हुये पीलू मोदी कहते हैं मेडम प्राइम मिनिस्‍टर हम जानते हैंं कि हमारे वैज्ञानिकों ने विज्ञान के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया है लेकिन आप हमारा ज्ञानबर्द्धन करें कि हमारे फोन क्‍यों‍ काम नहीं करते तो हम आपके बड़े आभारी होंगे हमारी संसद के शुरूआती दिन में गंभीर राजनैतिक मतभेद के बाद भी राष्‍ट्र निर्माण के सांझा अभियान में एक मैत्री भाव था यह एकदम से खत्‍म नहीं हो गया।   

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