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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) ||☺ || Admission Open BHANU PRATAP SEN

created Apr 16th 2019, 11:47 by AnshulKhareGuddu


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एक किसान था। उसके पास एक बकरा और दो बैल थे। बैलों से वह खेत जोतने का काम लेता। दोनों बैल दिन भर कड़ी मेहनत करके खेतों की जुताई करते थे। इसके उल्‍टे बकरे के लिए कोई काम तो था नहीं। वह दिन भर इधर-उधर घूमकर हरी-हरी घास चरता रहता। खा पीकर वह काफी मोटा तगड़ा हो गया था। यह देखकर बैल सोचते कि इस बकरे के मजे हैं। कुछ करता-धरता तो है नहीं और सारा दिन इधर-उधर घूमकर खाता रहता है। इधर, बकरा बैलों की हालत देखता तो उसे भी बड़ा दुख होता कि बेचारे सारा दिन हल में जुते रहते हैं और मालिक है कि इनकी ओर पूरी तरह ध्‍यान नहीं देता। वह वैलों को कुछ सलाह देना चाहता था, जिससे इनका कुछ भला हो। एक दिन दोनों बैल खेत जोत रहे थे। बकरा भी वहीं खेतों के पास घास चर रहा था। दोनों बैलों को खेत जोतने में काफी मेहनत करनी पड़ रही थी। वे दोनों हांफ रहे थे। यह देखकर बकरा मूर्खतापूर्ण स्‍वर में बोला- 'भाईयों, तुम दोनों को दिन भर खेतों में कड़ी मेहनत पड़ रही थी। वे दोनों हांफ रहे थे। यह देखकर बकरा मूर्खतापूर्ण स्‍वर में बोला- भाईयों, तुम दोनों को दिन भर खेतों में कड़ी मेहनत करते देखकर मुझे बहुत दुख होता है। परंतु किया क्‍या जा सकता है, यह तो भाग्‍य का खेल है। मुझे देखो, मेरे पास दिन भर चरने के अलावा कोई काम नहीं है। दिन भर मैं इधर-उधर मैदानों में चरता रहता हूँ। किसान की पत्‍नी खुद खेतों में जाती है और मेरे लिए हरी पत्त्यिां और घास लेकर आती है। तुम दोनों तो मुझसे ईर्ष्‍या करते होगे। दोनों बैल चुपचाप बकरे की बातें सुनते रहे। जब वे शाम को खेतों से काम करके वापस आए तो उन्‍होंने देखा कि किसान की पत्‍नी किसी कसाई से धन लेकर उसे वह बकरा बेच रही थी। दोनों बैलों की आंखों में आंसू भर आए। बेचारे कर भी क्‍या सकते थे। उनमें से एक धीमे स्‍वर में बोला- आह तुम्‍ळारे भाग्‍य में यही लिखा था। निष्‍कर्ष- जिसके भाग्‍य में जैसा लिखा होता है वैसा ही होता है।  

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