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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created May 20th 2019, 11:23 by my home


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प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी दुबारा सत्‍ता की कमान संभालते हैं, तो उनकी सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती विदेश मोर्चे पर ईरान से कच्‍चे तेल की आपूर्ति सुनिश्चित रखने की होगी। भारत अपनी तेल आवश्‍यकता का करीब 10 फीसद हिस्‍सा ईरान से आयात करता है। अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप द्वारा ईरान पर लगाए गए कड़े प्रतिबंधों के कारण अब भारत के सामने यह दुविधा है कि वह ईरान से कच्‍चे तेल का आयात कम करे, बंद करे या जारी रखे। ईरान के खिलाफ अमेरिका के प्रतिबंध काफी समय से जारी थे। लेकिन अब तक भारत समेत कुछ अन्‍य देशों को अमेरिकी प्रशासन ने प्रतिबंधों में छूट दे रखी थी। यह छूट गत दो मई को समाप्‍त कर दी गई।
    अमेरिका ने यह चेतावनी भी दी है कि जो भी देश इन प्रतिबंधों की अवहेलना करेगा उसके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी। अमेरिकी फैसले से सबसे ज्‍यादा दुष्‍प्रभावित होने वाले देश हैं भारत, तुर्की, और चीन। तुर्की ने अमेरिकी धमकी का मजाक उड़ाया है, जबकि चीन ने इसी हफ्ते प्रतिबंधों के बावजूद ईरान से कच्‍चा तेल खरीदा है। प्रतिबंधों के इस उल्‍लंघन के संबंध में अमेरिकी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है। जहां तक भारत का सवाल है, तेल कंपनियों की ओर से संकेत दिए जा रहे हैं कि वे अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन करेंगे। सरकार के स्‍तर पर अभी किसी स्‍पश्‍ट नीति का खुलासा नहीं किया गया है। वजह है कि देश में आम चुनाव चल रहे हैं, और सरकार बनने के बाद ही बड़े फैसले लिए जा सकते हैं।
    अमेरिका और ईरान में बढ़े तनाव के बीच सऊदी अरब के तेल टैंकरों पर हमला हुआ है, इसके कारण पश्चिम एशिया में युद्ध के बादल मंडरा रहे हैं, और कच्‍चे तेल के दाम बढ़ने की आशंका भी पैदा हो गई है। सऊदी अरब ने इस हमले में ईरान का हाथ होने की आशंका जताई है। अमेरिका ईरान से संभावित खतरों के कारण फारस की खाड़ी में बी-52 बमवर्षक विमानों की तैनाती कर रहा है। पश्चिम एशिया में अमेरिका और ईरान के बीच बढ़ते तनाव और प्रतिबंधों के कारण ईरान की अर्थव्‍यवस्‍था पर पड़ रहे प्रतिकूल असर की छाया में ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने इस हफ्ते के शुरू में भारत की यात्रा की।  

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