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created Jun 7th 2019, 11:01 by SubodhKhare1340667
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दुनिया भर में पर्यावरण दिवस मनाया गया। इस बार पर्यावरण दिवस की थीम वायु प्रदूषण तय की गई है और यह शायद इसलिए है कि दुनिया में वायु प्रदूषण पहले दर्जे के प्रदूषण में पहुंच गया है। पहले हम पानी-मिट्टी-वनों को लेकर चिंतित थे, पर अब बिगड़ती हवा उनसे बड़ी चिंता बन गई है और आज यह सबसे बड़े संकट के रूप में हमारे बीच में है। इसका एक दूसरा बड़ा कारण भी है। पानी तो हम कुछ समय के अंतराल पर पिएंगे और भोजन भी दिन में दो-तीन बार ही लेंगे, मगर सांस लेने के लिए वायु तो हर क्षण चाहिए। इसीलिए हमारे शास्त्रों में इसे जीवन से जोड़कर देखा गया और प्राण वायु की संज्ञा दी गई है। मतलब इसके बिना प्राण संभव नहीं। पर्यावरण के महत्व को समझने और समझाने का इससे बड़ा रास्ता और कोई नहीं हो सकता। मतलब इसके अभाव से बड़ा संकट और कुछ नहीं हो सकता।
हाल ही में प्रकाशित ग्लोबल एयर रपट ने इसका खुलासा किया है। इसके अनुसार दुनिया की 91 प्रतिशत आबादी वायु प्रदूषण से प्रभावित है। अगर ऐसा है तो बहुत सारे सवाल खड़े होने चाहिए। मसलन कारणों की पड़ताल, उपाय और बड़ी रणनीति पर विमर्श होना चाहिए। भारत तो वायु प्रदूषण का और भी बड़ा शिकार है। दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की एक बड़ी संख्या भारत में ही है। वायु मानकों के अनुसार हवा में प्रदूषण कण 80 पीएम के भीतर होने चाहिए, पर देश का शायद ही कोई शहर हो जहां सामान्य रूप से 150 से 200 पीएम तक प्रदूषण न हो। गुड़गांव, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा, पटना, लखनऊ, दिल्ली, जोधपुर, मुजफ्फरपुर, वाराणसी, मुरादाबाद और आगरा जैसे शहरों की स्थिति तो बहुत ही खराब है। यही हाल दुनिया के और तमाम बड़े शहरों का है।
हाल ही में प्रकाशित ग्लोबल एयर रपट ने इसका खुलासा किया है। इसके अनुसार दुनिया की 91 प्रतिशत आबादी वायु प्रदूषण से प्रभावित है। अगर ऐसा है तो बहुत सारे सवाल खड़े होने चाहिए। मसलन कारणों की पड़ताल, उपाय और बड़ी रणनीति पर विमर्श होना चाहिए। भारत तो वायु प्रदूषण का और भी बड़ा शिकार है। दुनिया के सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों की एक बड़ी संख्या भारत में ही है। वायु मानकों के अनुसार हवा में प्रदूषण कण 80 पीएम के भीतर होने चाहिए, पर देश का शायद ही कोई शहर हो जहां सामान्य रूप से 150 से 200 पीएम तक प्रदूषण न हो। गुड़गांव, गाजियाबाद, फरीदाबाद, नोएडा, पटना, लखनऊ, दिल्ली, जोधपुर, मुजफ्फरपुर, वाराणसी, मुरादाबाद और आगरा जैसे शहरों की स्थिति तो बहुत ही खराब है। यही हाल दुनिया के और तमाम बड़े शहरों का है।
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