eng
competition

Text Practice Mode

BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Jun 13th 2019, 12:27 by DeendayalVishwakarma


0


Rating

441 words
0 completed
00:00
कोई भी सभ्‍य और संवेदनशील समाज विकास के क्रम में आगे बढ़ने के लिए अतीत की घटनाओं से सबक लेता है, गलतियों को स्‍वीकार करता और उसमें सुधार की गुंजाइशें निकालता है। जरूरी लगने पर माफी भी मांगता है। इस लिहाज से ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा ने भारत पर ब्रिटिश राज के दौरान जलियांवाला बाग में हुए जनसंहार पर जिस तरह खेद जताया है, उसे एक महत्‍वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाएगा। उन्‍होंने ठीक सौ साल पहले तेरह अप्रैल 1919 को अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुई इतिहास की उस भयावह घटना और उससे पैदा हुए कष्‍टों पर गहरा दु:ख जताया। हालांकि यह याद रखने की जरूरत है कि थेरेसा ने खेद और दु:ख जताने के बावजूद उस घटना के लिए ब्रिटिश राज की ओर माफी नहीं मांगी। जो जलियावाला बाग में हुये जनसंहार को छह साल पहले भी ब्रिटेन के तत्‍कालीन प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने ब्रिटेन के इतिहास की एक शर्मनाक घटना बताया था। लेकिन तब भी उन्‍होंने इसके लिए माफी नहीं मांगी थी। इसका मतलब यही माना जाना चाहिए कि ब्रिटिश राज के उस रवैए को लेकर ब्रिटेन के शासक वर्ग में आज भी एक खास तरह का आग्रह कायम है। हालांकि इस बार थेरेसा के अफसोस जताने के बाद ब्रिटेन की संसद में विपक्ष के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने केवल खेद जताने से आगे बढ़ने और उनसे स्‍पष्‍ट और विस्‍तृत माफी मांगने के लिए कहा। जाहिर है, जलियांवाला बाग की उस घटना को लेकर ब्रिटेन के भीतर आत्‍ममंथन का दौर चल रहा है और उम्‍मीद की जानी चाहिए कि वहां के नेतृत्‍व की ओर से अब खेद जताने से आगे बढ़ कर माफी भी मांगी जाएगी। गौरतलब है कि लगभग दो महीने पहले जलियांवाला बाग जनसंहार की जिम्‍मेदारी तत्‍कालीन ब्रिटिश सरकार से माफी मांगने के मसले पर पंजाब सरकार ने विधानसभा में सर्वसम्‍मति से प्रस्‍ताव पारित किया था। कहा जा सकता है कि अतीत की उस त्रासद घटना के सवाल पर एक जद्दोजहद जारी है। लेकिन यह भी सच है कि ब्रिटिश राज के दौरान जलियांवाला बाग के जनसंहार के अलावा भी भयावह जुल्‍मो-सितम की अनगिनत घटनाएं हुई थीं। आज के दौर की द‍ुनिया में कई ऐसे मामले सामने चुके हैं। जब किसी देश के शासन ने अतीत में हुए अत्‍याचारों के लिए स्‍पष्‍ट शब्‍दों में माफी मांगी है। मसलन, फरवरी 2008 में आस्‍ट्रेलिया की सरकार ने उन नियमों और कानूनों के लिए देश के मूल निवासियों से माफी मांगी थी, जिनके कारण उनके साथ अन्‍याय हुआ है। कनाडा भी अतीत में शोषण के शिकार मूल निवासियों से माफी मांग चुका है। दक्षिण अफ्रीका ने रंगभेद को अत्‍याचार के रूप में स्‍वीकार किया, जर्मनी ने भयावह जनसंहार या होलोकास्‍ट के शिकार हुए लोगों का स्‍मारक बनवाया।

saving score / loading statistics ...