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created Aug 22nd 2019, 07:02 by MayankKhare
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उक्त मामले में लताबाई अ.सा. 01 का यह अभिकथन है कि उसका विवाह प्रत्यर्थी क्रमांक 01 मिथुन से दिनांक 25.11.2016 से लगभग चार वर्ष पूर्व ग्राम लचानवारा में हुआ था तथा प्रत्यर्थी मौनी उसका पति और प्रत्यर्थीगण नाथूराम व लताबाई सास व ससुर है। यह भी अभिकथन है कि विवाह के उपरांत वह प्रेमवाई चार वर्ष तक अपने पति के साथ रही और विवाह के उपरांत चार-पांच माह तक प्रेमलाबाई को अच्छे से रखा गया। इसी आशय के कथन में चंदाबाई आ.सा. 02 ने भी किये हैं और बताया है कि व्यथिता प्रेमबाई उसकी ड़की है तथा जिसकी शादी दिनांक 03.01.2017 से लगभग चार पूर्व मौनी से हुई थी तथा तेजाराम लता बाई का ससुर व मुन्नीबाई प्रेमलाबाई की सास है। यह भी बताया है कि शादी के बाद लगभग दो-चार माह तक प्रेमलाबाई ससुराल वालों ने उसको अच्छे से रखा था उसके बाद हर दो-चार महीने में प्रेमलाबाई का पति मारपीट करता था और घर से निकाल देता था, परन्तु वे अर्थात् प्रेमलाबाई के परिवार वालों ने उसे दो-चार बार समझाकर भेजा था तथा मिथुन ने फोन करके प्रेमलाबाई के मामा मनीराम को उसके घर ग्राम रामनगर में बुलाया था और कहा था कि अपनी भांजी को ले जायें वह उसे नहीं रखेगा। तब प्रेमलाबाई अपने मामा के साथ अपने माता-पिता के घर ग्राम कमलपुर आ गई थी जिसके बाद उसने थाने में आवेदन दिया था और फिर यह केस लगाया है। उपरोक्त कथनों के खंडन के लिए प्रतिप्रार्थी पक्ष आवेदिका साक्ष्य के दौरान न्यायालय में उपस्थिति नहीं रहा है और न ही प्रत्यर्थीगण ने अपने प्रार्थी पक्ष के अभिवचनों के जवाब में किये गये अपने प्रतिरोधात्मक अभिवचनों के समर्थन में कोई साक्ष्य प्रस्तुत की है। उपरोक्त परिस्थितियों में अभिलेख पर व्यथित व्यक्ति की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य चुनौतीरहित एवं अखंडित रही होकर उपलब्ध सामग्री के आधार पर यह स्थापित होता है कि प्रेमलाबाई साझा गृहस्थी में निवासरत रही होकर प्रत्यर्थीगण मौनी, गंगाराम, मुन्नीबाई के साथ घरेलू नातेदारी में निवासरत रही है। प्रेमलाबाई आ.सा. 01 का यह अभिकथन है कि विवाह के चार-पांच माह उपरांत प्रत्यर्थीगण उसे छोटी-छोटी बातों पर उसे मानसिक व शारीरिक रूप से परेशान करने लगे थे और दहेज में मोटरसाईकिल और एक लाख रूपये नगर मांगने लगे थे और गालीगलौंच व मारपीट कर उसे एक साथ प्रताडित करते थे, वह अपने वैवाहिक जीवन को बचाने के लिए इस आशा के साथ सब सहन करती रही है कि कभी न कभी प्रत्यर्थीगण के व्यवहार में परिवर्तन आ जायेगा।
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