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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Aug 24th 2019, 09:40 by AnujGupta1610


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सुप्रीम कोर्ट ने लोगों का ध्‍यान इस महत्‍वपूर्ण सवाल की तरफ खींचा है कि क्‍या सोशल मीडिया अकाउंट को आधार से जोड़ा जाना चाहिए। इस प्रस्‍ताव के समर्थन में सरकार कह रही है कि आधार को सोशल मीडिया के साथ जोड़ने से फर्जी खबरों, साइबर बुलिंग और ट्रोलिंग जैसे अपराधों से लड़ने में मदद मिलेगी और एक व्‍यस्थित साइबर स्‍पेस बनाने की दिशा में हम आगे बढ़ सकेंगे। इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि इस तरह के कदम से साइबर अपराध और ऑनलाइन अवांछित असभ्‍य व्‍यवहार को रोकने में मदद मिलेगी।
    यह विचार बेशक अच्‍छा लगने वाला है, लेकिन तथ्‍य यही है कि ऐसा करने से बड़ी संख्‍या में कानूनी और नीतिगत चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। इनमें सबसे बड़ी चुनौती तो निजता के बचाव और संरक्षण की होगी। न्‍यायमूर्ति पट्टास्‍वामी बनाम भारत संघ मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए निजता के अधिकार को संविधान के अनुच्‍छेद 21 के तहत हमारे जीवन के मौलिक अधिकार का हिस्‍सा माना था। इस निजता में सिर्फ व्‍यक्तिगत नहीं, डाटा की निजता भी शामिल है। इसीलिए, सोशल मीडिया अकाउंट के साथ आधार को जोड़ने से व्‍यक्तिगत निजता और डाटा की निजता, दोनों पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।

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