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बंसोड टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा, छिन्दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्यू बैच प्रांरभ
created Sep 17th 2019, 14:03 by Sawan Ivnati
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धरती पर मानव जाति का वजूद आदमी और औरत दोनों की समान भागीदारी के बिना असंभव है। किसी भी देश के विकास के लिये नर और नारी दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार है। हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं है कि महिलाएं पुरूषों से अध्यधिक महत्व रखती हैं। औरतों के बिना हम मानव जाति की निरंतरता के बारे में सोच भी नहीं सकते क्योंकि वो मानव करे जन्म देती हैं। इसलिए कन्या शिशु को नहीं मारा जाना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ाने के लिए सुरक्षा,सम्मान और समान अवसर प्रदान किेये जाने चाहिए। हालांकि, माहिलाएं हत्या, बलात्कार, यौन शोषण, दहेज के लिये हत्या आदि से अपनी ही बनायी गयी सभ्यता में पीडित है। ये कितना शर्मनाक है। बहुत से समझदार लोगों के अनुसार एक शिशु कन्या को अनेक कारणों के लिए बचाया जाना चाहिये, जैसे कोई भी लड़की किसी भी क्षेत्र में लड़कों की तुलना में कम सक्षम नहीं है और और अपना सर्वश्रेष्ठ देती है। 1961से कन्या की गर्भ में ही हत्या करना देना एक गैर कानूनी अपराध है। यह ही नहीं, लिंग परीक्षण चुनाव के बाद गर्भपात को रोकने के लिये प्रतिबंधित कर दिया गया है। किसी लड़के से तुलना करें तो यह अवश्य कहा जा सकता है कि एक लड़की अधिक आज्ञाकारी, कम हिंसक और अभिमानी होती है। वह अपने परिवार, नौकरी, समाज या देश के लिए ज्यादा जिम्मेदारी साबित हो चुकी है। इसके अतिरिक्त माता-पिता और उनके कार्यों की अधिक परवाह लड़कियों को ही ज्यादा होती है। यही कारण है कि सरकार ने महिला स्कूलों में शौचालय के निर्माण से अभियान में मदद की है। बालिकाओं और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराध भारत के विकास में एक बड़ी बाधा है। गर्भ में ही कन्या की हत्या करना बेहद संगीन जुर्म में से एक और सरकार ने अस्पतालों में लिंग निर्धारण, स्कैन परीक्षण आदि के लिए अल्ट्रामाउंड पर रोक लगा दी है। सरकार ने यह कदम इसलिए लिया है ताकि वह लोगों को बता सके लड़की को जन्म देना किसी भी समाज में अपराध नहीं है। भारत में लड़की लक्ष्मी का रूप मानी जाती है और यह भगवान का दिया एक खूबसूरत तोहफा है। इसलिए एक बेटी से कभी भी नफरत नही करनी चाहिए। समाज और देश की भलाई इसी में है कि हम सब मिलकर लड़कियों को सम्मानित करें और बहुत सारा प्यार दें।
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