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सॉंई टायपिंग इंस्टीट्यूट गुलाबरा छिन्दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565
created Oct 10th 2019, 04:34 by sandhya shrivatri
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एक तालाब में तीन मछलियां रहती थीं जिनके नाम अनागत विधाता और यूदविष्य थे। वे तीनों कई अन्य मछलियों के साथ तालाब में रहती थीं। एक दिन कुछ मछुआरे आए और तालाब में यह देखने के लिए रूके कि क्या उसमें कई मछलियां हैं। जब उन्होंने देखा कि तालाब मछलियों से भरा हुआ है, तो वे बहुत उत्साहित हुए और उन्होंने कुछ मछलियों का शिकार किया और अगली सुबह और अधिक मछलियों का शिकार करने के लिए फिर से आने का फैसला किया। एक मछुआरे का कहना था कि इस जगह पर बहुत सारी मछलियां हैं लेकिन अचरज की बात है कि यह जगह अभी तक हमारी नजर में नहीं आई थी। दूसरे मछुआरे ने माना कि यह बात सच है कि हमने मछलियों से भरपूर इस तालाब को पहले कभी नहीं देखा था, लेकिन अब हमें इसके बारे में पता हो गया है कि और इसलिए हमें कल सुबह फिर से इस तालाब पर जरूर आना चाहिए और अधिक से अधिक मछलियों का शिकार करना चाहिए। इस प्रकार सभी लोग कल फिर से शिकार करने आने के लिए सहमत हुए और फिर अपने-अपने रास्ते पर चले गए। तालाब के किनारे तैर रही अनागत विधाता और यूदविष्य ने उनकी बातें सुनी, और वे तैर कर तालाब के बीच में गई और दूसरी मछली काे बात करने के लिए बुलाया ताकि इस स्थिति पर चर्चा की जा सके। पहली मछली सबसे बुद्धिमान थी। उसने बाकी मछलियों को बताया की जो मछुआरे अभी यहां से गए हैं वह हम सबको देखकर बहुत उत्साहित थे, इसलिए वे कल सुबह जरूर आएंगे इसलिए अब आप बताइए कि आप सभी जीना चाहते हैं या मछुआरों का शिकार बन जाना चाहते हैं। इस पर एक अन्य मछली ने जोर देकर कहा कि निश्चय ही हम जीना चाहते हैं। तो पहली मछली ने कहा कि यदि हमें जिंदा रहना है तो हमें यहां से जल्दी से जल्दी निकल जाना चाहिए और किसी दूसरे सुरक्षित तालाब में चले जाना चाहिए। यदि आप खुद को बचाना चाहते है तो आप मेरे पीछे आओ। दूसरी मछली भी यह सोच रही थी। उसने अपनी दोस्त के साथ जाने का फैसला किया। लेकिन तीसरी मछली उनसे सहतम नहीं थी। उसने उन पर हंसते हुए कहा कि हम कायर नहीं जो अपने घर से चले जाएं हम यहीं रहना चाहिए, जब मरने का समय हो तो कोई भी बच नहीं सकता। अगर हमें मरना है तो हम इसे बहादुरी से सामना करें। फिर मछलियों ने खुद को अलग-अलग समूहों में बांटना शुरू कर दिया।
इस प्रकार तालाब में दो समूह बन गए। उसी शाम, कई मछलियां उस तालाब से चली गई। जो समूह तालाब से नहीं गया वह दूसरों को तालाब से जाते देखकर हसता रहा, लेकिन अगली सुबह, मछुआरे आ गए, उन्होंने जाल डाला और तालाब में मौजूद सभी मछलियों का शिकार कर लिया उनमें से कोई बच नहीं सका।
इस प्रकार तालाब में दो समूह बन गए। उसी शाम, कई मछलियां उस तालाब से चली गई। जो समूह तालाब से नहीं गया वह दूसरों को तालाब से जाते देखकर हसता रहा, लेकिन अगली सुबह, मछुआरे आ गए, उन्होंने जाल डाला और तालाब में मौजूद सभी मछलियों का शिकार कर लिया उनमें से कोई बच नहीं सका।
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