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created Dec 5th 2019, 09:53 by ashishgupta1232338
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महाराष्ट्र में सरकार बनाने वाला महा विकास आघाड़ी कई तरह से भविष्य के संकेत देता है। यह कोई ऐसा गठबंधन नहीं है, जैसा पहले नहीं बना हो। इनमें कुछ सफल रहे और कुछ विफल हो गए। लेकिन, शायद ही पहले ऐसा हुआ हो जब पूरी तरह भिन्न इतिहास और विचारधारा वाले तीन दल अपने सभी मतभेदों को भुलाकर एक दंभी व जनता की बात को न सुनने वाले शासन का विकल्प देने के लिए ऐसे न्यूनतम साझा कार्यक्रम के तहत साथ आए हों, जिसमें तीनों अपनी अलग पहचान को कायम रखते हुए साथ काम कर सकते हैं।
आघाड़ी ने एक तरह से आने वाले समय में विचारधाराओं की तकदीर तय कर दी है। बाकी दुनिया की तरह हम भी अब राजनीति के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां पहले की जाति, धर्म व विचारधारा की बड़ी-बड़ी बातों व उनके परस्पर विरोधी इतिहास पर कुछ समय के लिए रोक लगेगी। हम तकनीक, डाटा, मीडिया, पर्यावरण की चिंता व मानव के भविष्य को संचालित करने वाली बदलाव की ताकतों के बीच ऐसे आसान गठबंधन बनते हुए देख सकते हैं। अगर और कुछ नहीं तो भी यह हमें बाकी दुनिया के साथ शामिल करेगा और उम्मीद है कि देश को चला रही संघर्ष और टकराव की राजनीति बाहर निकलने का कोई रास्ता सुझाएगा।
इसके अलावा यह महाराष्ट्र में पिछले पांच सालों से चल रहे शासन के तरीके में भी वांछित बदलाव ला सकता है। संभवत: हमें फिर से एक ऐसी शासन व्यवस्था मिलेगी, जो हर तरह के विरोध की आवाजों को सुनने के लिए तैयार होगी। फिर वह चाहे आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा गरीब किसान या बेरोजगार युवा हो, नोटबंदी और जीएसटी की वजह से अपनी आजीविका खोने वाले व देश की 80 फीसदी वास्तविक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे व्यापारी हों अथवा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान से चिंतित लोग
आघाड़ी ने एक तरह से आने वाले समय में विचारधाराओं की तकदीर तय कर दी है। बाकी दुनिया की तरह हम भी अब राजनीति के एक नए दौर में प्रवेश कर रहे हैं, जहां पहले की जाति, धर्म व विचारधारा की बड़ी-बड़ी बातों व उनके परस्पर विरोधी इतिहास पर कुछ समय के लिए रोक लगेगी। हम तकनीक, डाटा, मीडिया, पर्यावरण की चिंता व मानव के भविष्य को संचालित करने वाली बदलाव की ताकतों के बीच ऐसे आसान गठबंधन बनते हुए देख सकते हैं। अगर और कुछ नहीं तो भी यह हमें बाकी दुनिया के साथ शामिल करेगा और उम्मीद है कि देश को चला रही संघर्ष और टकराव की राजनीति बाहर निकलने का कोई रास्ता सुझाएगा।
इसके अलावा यह महाराष्ट्र में पिछले पांच सालों से चल रहे शासन के तरीके में भी वांछित बदलाव ला सकता है। संभवत: हमें फिर से एक ऐसी शासन व्यवस्था मिलेगी, जो हर तरह के विरोध की आवाजों को सुनने के लिए तैयार होगी। फिर वह चाहे आत्महत्या के लिए मजबूर किया जा रहा गरीब किसान या बेरोजगार युवा हो, नोटबंदी और जीएसटी की वजह से अपनी आजीविका खोने वाले व देश की 80 फीसदी वास्तविक अर्थव्यवस्था का प्रतिनिधित्व करने वाले छोटे व्यापारी हों अथवा जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण को हो रहे नुकसान से चिंतित लोग
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