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Saorde online typing harda CPCT New Set
created Dec 5th 2019, 11:53 by Sarode online harda
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दक्षिण भारत के एक प्रान्त में महिलारोप्य नाम का एक नगर था। वहाँ एक विशाल वट वृक्ष की शाखाओं पर लघुपतनक नाम का कौआ रहता था। एक दिन वह अपने भोजन की चिन्ता में शहर की ओर चला ही था कि उसने देखा कि एक काले रंग फटे कपड़े और बिखरे बालों वाला यमदूत के समान भंयकर बहेलिया उधर ही चला आ रहा है। कौए को वृक्ष पर रहने वाले अन्य पक्षियों की भी चिन्ता थी। उन्हें बहेलिये के चुंगल से बचाने के लिये वह पीछे लौट पड़ा और वहाँ सब पक्षियों को सावधान कर दिया कि जब यह बहेलिया वृक्ष के पास भूमि पर अनाज के दाने बिखेरे तो कोई भी पक्षी उन्हें चुनने के लालच से ना जाये। कौआ अभी यह कह ही रहा था कि बहेलिये ने वट वृक्ष के नीचे दाने बिखेर दिये और स्वयं दूर जाकर झाड़ी के पीछे छिप गया। पक्षियों ने भी लघुपतनक का उपदेश मानकर दाने नहीं चुने। किन्तु इस बीच में बहेलिये के सौभाग्य से कबूतरों का एक दल परदेस से उड़ता हुआ वहाँ आया। इस दल का मुखिया चित्रगीव नाम का एक कबूतर था। लघुपतनक के बहुत समझाने पर भी वह भूमि पर बिखरे हुये उन दानों को चुगने के लालच को ना रोक सका। परिणाम यह हुआ कि वह अपने परिवार के सदस्यों समेत जाल में फँस गया। लोभ का यही परिणाम होता है। लोभ से विवेक शक्ति नष्ट हो जाती है। जाल में फंसने के बाद चित्रगीव ने अपने साथी कबूतरों को समझा दिया कि वे और अधिक फड़फड़ाने या उड़ने की कोशिश ना करें, नहीं तो बहेलिया उन्हें मार देगा। इसलिये वे सब अधमरे से हुए जाल में बैठ गये। बहेलिये ने भी उन्हें शांत देखकर मारा नहीं। जाल समेट कर वह आगे चल पड़ा। चित्रगीव ने जब देखा कि अब बहेलिया निश्चिंत हो गया है और उसका ध्यान दूसरी ओर हो गया है तो उसने साथियों को जाल समेत उड़ जाने का संकेत किया। संकेत पाते ही सब कबूतर जाल को लेकर उड़ गये। बहेलिये को बहुत दु:ख हुआ। पक्षियों के साथ उसका जाल भी हाथ से निकल गया था। लघुपतनक भी उन कबूतरों के साथ उड़ने लगा।
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