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बंसोड टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा, छिन्‍दवाड़ा मो.न.8982805777 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रांरभ

created Dec 10th 2019, 09:34 by SARITA WAXER


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भाजपा के वरिष्‍ठ नेता एकनाथ खड़से सोमवार को अचानक 6 जनपथ पर पहुंचे। दिल्‍ली जाकर शरद पवार से मिलना चाहिए, ऐसा खड़से को अचानक क्‍यों लगा होगा ? इस घटनाक्रम  को कई संदर्भों में देखना होगा। कोई व्‍यक्ति एकला चलो रे का मंत्र गुनगुनाता सत्‍ता पर सवार हो तो उसका आभामंडल आलौकिक होताहै। कुर्सी सरकने पर ही लोकप्रिय का सही अंदाज लग पाता है। महाराष्‍ट्र में भी देवेंद्र फडणवीस की स्थिति कुछ ऐसी  ही है। सत्‍ता में थे, तब तक उनकी इमेज लार्जरदेन लाइफ हो चुकी थी। कुर्सी छूटी तो सब छूट  गया। चुनावों की तारीखे घोषित होने तक फडणवीस का वर्णन सुसंस्‍कृत, सर्वशक्तिमान और यशस्‍वी तरीके से कार्यकाल पूरा करने वाले सीएम के तौर पर हुआ। महाजनादेश यात्रा  निकाली तो उस इवेंट ने उनकी एकमेव नेता होने की छवि पर मुहर लगा दी। शिवसेना उनके साथ आई तो विरोधियों को जैसे सांप सूंघ गया था। वही फडणवीस जब नई सरकार के शपथ ग्रहण में भाग लेने शिवाजी  पार्क गए तो लोगों ने उनका  मजाक उड़ाने का कोई मौका नहीं छोड़ा। कुछ समय पहले जो शिवसेना भाजपा के सामने नतमस्‍तक थी, वह अब देवेंद्र ने रातोंरात शपथ ले ली। वह भी उन  अजित पवार  के साथ, जिन्‍हें जेल में डालने का वादा वे रात-दिन  सभाओं में करते थे। यह महत्‍वपूर्ण है कि रातोंरात शपथ समारोह में सुसंस्‍कृत होने की उनकी प्रतिमा खंडित कर दी है। भाजपा में ही नेता देवेंद्र के खिलाफ दम दिखा रहे हैं। मुख्‍यमंत्री रहते हुए देवेंद्र ने अपनी पार्टी  में विरोधियों के पर कतरे। नागपुर के ही वरिष्‍ठ नेता नितिन गडकरी के गुट को खत्‍म करने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगाया था। जो प्रतिस्‍पर्धी  बन सकते थे, उनके भी पत्ते काटे। एक समय मुख्‍यमंत्री पद के दावेदार रहे एकनाथ खड़से को घर बिठा दिया गया। बेटी तक को  चुनाव  नहीं जीता सके। स्‍व.गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा कहती थीं कि जनता के दिलों में मैं ही मुख्‍यमंत्री हूं। वे भी हार गई। 12 दिसंबर को गोपीनाथ मुंडे की जयंती  है और उस दिन  मैं बड़ा निर्णय लेने वाली हूं, ऐसी  घोषणा पंकजा फेसबुक पर कर चुकी हैं। अटकलें भी  तेज हैं कि पार्टी में पंकजा घुटन कर रही हैं। खड़से के मुताबिक, पार्टी वालोंने ही उनकी बेटी को परास्‍त किया। उनके निशाने पर सीधे फडणवीस है। मंत्री रहे विनोद तावड़े,चंद्रशेखर बावनकुले और सुभाष देशमुख को भी खूब  परेशान किया गया। भाजपा  के प्रदेशाध्‍यक्ष  चंद्रकांत पाटिल मराठा होने के साथ ही अमित शाह के विश्‍वस्‍त थे। प्रतिस्‍पर्धा बन सकते थे, लिहाजा उन्‍हें  भी रास्‍ते  से हटाने की कोशिश हुई, पर वे जीत गए। फडणवीस को भ्रम था कि  चाहे जो हो  जाए,हारेंगे नहीं। सरकार भी बना  लेंगे। लेकिन, हकीकत हमेशा कल्‍पनाओं से परे  होती है। मौका मिलते ही पार्टी  में सब विरोधी  एकजुट  हो रहे हैं। ऐसा दबाव बन रहा है कि पार्टी में देवेन्‍द्र के एकमेव शासन  को खत्‍म  किया जाए।  

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