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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Dec 10th 2019, 10:26 by


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नागरिक संशोधन विधेयक को लेकर जैसा माहौल खड़ा किया गया उसे देखते हुए लोकसभा में उसे लेकर हंगामा होना ही था। केवल कांग्रेस और कुछ अन्‍य विपक्षी दल ही यह साबित करने पर जोर नहीं दे रहे हैं कि यह विधेयक संविधान विरोधी है। यही काम कई बुद्धिजीवी भी करने में लगे हुए हैं। उनकी मानें तो यह समानता के अधिकारों का हनन करता है, लेकिन वे यह स्‍पष्‍ट करने की जरूरत नहीं समझ रहे हैं कि समानता का अधिकार भारतीय नागरिकों पर ही लागू हो सकता है, न‍ कि अन्‍य देशों के नागरिकों पर। इस विधेयक के जरिये भारत यह तय करने जा रहा है कि वह पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के किन लोगों को नागरिकता प्रदान कर सकता है। यह समझने की जरूरत है कि यह विधेयक दुनिया भर के लोगों को नागरिकता प्रदान करने के लिए नहीं हैं। इस विधेयक के विरोध में दूसरी बड़ी दलील यह दी जा रही है कि यह धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है। नि:संदेह इस विधेयक में पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के अल्‍पसंख्‍यक यानी हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी, ईसाई मत के लोगों को ही नागरिकता देने की व्‍यवस्‍था है, लेकिन यदि इन तीनों देशों के मुसलमानों को रियासत नहीं दी गई है तो इसके पीछे ऐतिहासिक कारण और यह तथ्‍य है कि ये सभी मुस्लिम बहुल देश हैं।
    आखिर यह क्‍यों विस्‍मृत किया जा रहा है कि देश का विभाजन मजहब के आधार पर हुआ था। इस ऐतिहासिक पृष्‍ठभूमि की अनदेखी क्‍यों की जानी चाहिए। विडंबना यह है कि इसी के साथ इस तथ्‍य की भी अनदेखी की जा रही है कि बांग्‍लादेश से आए लाखों लोगों ने पूर्वोत्‍तर के कई इलाकों में सामाजिक परिदृश्‍य इस हद तक बदल दिया है कि स्‍थानीय संस्‍कृति के लिए खतरा पैदा हो गया है।
    वास्‍तव में इसी कारण पूर्वोत्‍तर के अधिकांश इलाकों को नागरिकता संशोधन विधेयक के दायरे से बाहर किया गया है। समझना कठिन है कि पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के मुसलमानों को नागरिकता संशोधन विधेयक से बाहर रखने का विरोध करने वाले इसकी अनदेखी क्‍यों कर रहे हैं कि इस विधेयक में श्रीलंका के तमिल हिंदुओं को कोई रियायत नहीं दी जा रही है। क्‍या विपक्ष इसकी चर्चा करने से इसीलिए बच रहा है ताकि वोट बैंक की राजनीति करने में आसानी हो यह ठीक नहीं कि संकीर्ण राजनीति कारणों से यह हवा बनाई जाए कि यह विधेयक मुस्लिम विरोधी है। बेहतर हो कि यह हवा बनाने वाले यह स्‍पष्‍ट करें कि पाकिस्‍तान, बांग्‍लादेश और अफगानिस्‍तान के अल्‍पसंख्‍यकों और बहुसंख्‍यकों के बीच भेद क्‍यों नहीं किया जाना चाहिए। भारत कोई धर्मशाला नहीं कि जो चाहे यहां बसने का अधिकारी बन जाए।

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