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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Dec 10th 2019, 11:13 by ddayal2004
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एक दिन बादशाह अकबर ने अपने कुछ खास मित्रों को दावत के लिए आमंत्रित किया। बीरबल भी वहां थे। कई प्रकार के लजीज व्यंजन परोसे गए थे और सभी ने दावत का लुत्फ लिया। रात के खाने के बाद मेहमानों ने मनोरंजन के लिए अनुरोध किया। एक प्रसिद्ध कहानीकार को बुलाया गया। उसने अपने हास्य की कहानियां सुनानी शुरू कर दी। अकगर और उनके मेहमान कहानियों पर दिल खोलकर हंसने लगे। अकबर उस कहानीकार से बहुत खुश हुए और उसने कहानीकार को सोने के सिक्कों की थैली भेंट की। वास्तव में, बादशाह को कहानियां सुनने में बहुत अधिक रूचि थी और वह कहानीकार कहानी सुनाने में निपुण था।
उसने बादशाह से सोने के सिक्कों की थैली ले ली और आदरपूर्वक उनके सामने झुककर अभिवादन किया। उसने कहा, आप सभी राजाओं में सबसे महान हैं। वास्तव में आप ईश्वर से भी महान हैं। जैसे ही कहानीकार ने यह बात कही, दरबार में सन्नाटा छा गया। मंत्रियों ने सोचा, ईश्वर से महान एक इंसान ईश्वर से महान कैसे हो सकता है। कहानीकार ने जो कुछ भी कहा, उसे सुनकर अकबर बहुत खुश हुआ। हालांकि वह जानता था कि कहानीकार प्रशंसा के साथ कुछ ज्यादा ही बोल गया, पर अपने आसपास के चेहरों को हेरान देखकर हंसने लगा। उसने कुछ मजा लने का सोचा।
जब कहानीकार चला गया, तब बादशाह अपने मेहमानों और मंत्रियों की तरफ मुड़ा और बोला, उस आदमी ने जो कुछ भी कहा है, क्या आप सभी उससे सहमत हैं, क्या आपको लगता है कि मैं ईश्वर से महान हूं।
मेहमानों और मंत्रियों ने एक दूसरे की तरफ देखा। वह पूरी तरह से निरूत्तर थे। अकबर ने बीरबल की तरफ देखकर कहा, बीरबल बताओ मुझे, तुम्हें मैं भगवान से बड़ा क्यों लगता हूं। बीरबल ने कहा, जहांपनाह आप कुछ ऐसा कर सकते हैं जो भगवान भी नहीं कर सकते। आप अपने राज्य से दुष्ट आदमी को निर्वासित कर सकते हैं। भगवान ऐसा नहीं कर सकते हैं। हालांकि वह ब्राह्मांड के मालिक हैं, परन्तु क्या वह इंसान को कहीं औश्र भेज सकते हैं। इसलिए आप भगवान से भी महान हैं।
अकबर की हंसी छूट गयी। उन्होंने इस तरह से एक जवाब के बारे में सोचा भी नहीं था। उन्होंने कहा, प्रिय बीरबल आपकी बुद्धि का कोई मुकाबला नहीं है। मेहमानों और मंत्रियों ने राहत की सांस ली। वह सभी बीरबल के जवाब पर हंसने लगे।
उसने बादशाह से सोने के सिक्कों की थैली ले ली और आदरपूर्वक उनके सामने झुककर अभिवादन किया। उसने कहा, आप सभी राजाओं में सबसे महान हैं। वास्तव में आप ईश्वर से भी महान हैं। जैसे ही कहानीकार ने यह बात कही, दरबार में सन्नाटा छा गया। मंत्रियों ने सोचा, ईश्वर से महान एक इंसान ईश्वर से महान कैसे हो सकता है। कहानीकार ने जो कुछ भी कहा, उसे सुनकर अकबर बहुत खुश हुआ। हालांकि वह जानता था कि कहानीकार प्रशंसा के साथ कुछ ज्यादा ही बोल गया, पर अपने आसपास के चेहरों को हेरान देखकर हंसने लगा। उसने कुछ मजा लने का सोचा।
जब कहानीकार चला गया, तब बादशाह अपने मेहमानों और मंत्रियों की तरफ मुड़ा और बोला, उस आदमी ने जो कुछ भी कहा है, क्या आप सभी उससे सहमत हैं, क्या आपको लगता है कि मैं ईश्वर से महान हूं।
मेहमानों और मंत्रियों ने एक दूसरे की तरफ देखा। वह पूरी तरह से निरूत्तर थे। अकबर ने बीरबल की तरफ देखकर कहा, बीरबल बताओ मुझे, तुम्हें मैं भगवान से बड़ा क्यों लगता हूं। बीरबल ने कहा, जहांपनाह आप कुछ ऐसा कर सकते हैं जो भगवान भी नहीं कर सकते। आप अपने राज्य से दुष्ट आदमी को निर्वासित कर सकते हैं। भगवान ऐसा नहीं कर सकते हैं। हालांकि वह ब्राह्मांड के मालिक हैं, परन्तु क्या वह इंसान को कहीं औश्र भेज सकते हैं। इसलिए आप भगवान से भी महान हैं।
अकबर की हंसी छूट गयी। उन्होंने इस तरह से एक जवाब के बारे में सोचा भी नहीं था। उन्होंने कहा, प्रिय बीरबल आपकी बुद्धि का कोई मुकाबला नहीं है। मेहमानों और मंत्रियों ने राहत की सांस ली। वह सभी बीरबल के जवाब पर हंसने लगे।
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