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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open

created Dec 10th 2019, 11:15 by SubodhKhare1340667


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दहेज मृत्‍यु के एक मामले में यह विचार करते हुये कि याची की पुत्री मुश्किल से 20 माह की है, याची की विवाहित बहन के द्वारा पुत्री की हर समय देखभाल किये जाने की आशा नहीं की जा सकती है, याची के माता-पिता वृद्ध तथा शिथिलांग है, बच्‍चे को इस सुकुमार आयु में पिता के स्‍नेह देखभाल की आवश्‍यकता होगी, अभियुक्‍त को जमानत पर रिहा कर दिया गया। जहां साक्षियों के प्रकथनों ने प्रकट किया कि अभियुक्‍त पति ने दहेज के लिये मृतक पत्‍नी से झगडा किया, उसको पीटा भी, जमानत नामंजूर कर दी गयी। जहां दहेज की मांग के लिये कोई आधार नहीं था, अभियुक्‍त पति के द्वारा मानसिक क्रूरता तथा उत्‍पीडन कारित करने के किसी साक्ष्‍य का भी अभिकथन नहीं किया गया, अभियुक्‍त को जमानत पर छोड दिया गया। जहां सीएफएसएल की व्‍याख्‍या में प्रकथन था कि सुसाइड नोट मृतका की हस्‍तलिपि में नहीं था, जमानत दे दी गयी। जहां सास के विरूद्ध कोई प्रत्‍यक्ष या विशिष्‍ट अभिकथन नहीं था, अपराध भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 304बी के अंतर्गत था, उसे जमानत दे दी गयी। जहां दहेज की मांग या उत्‍पीडन का कोई साक्ष्‍य नहीं था, आवेदक की 20 माह की पुत्री थी, अभियुक्‍त को जमानत पर रिहा कर दिया गया। जहां दहेज मृत्‍यु का प्रथम दृष्‍टया साक्ष्‍य था, सास तथा अभियुक्‍त पति की जमानत नामंजूर कर दी गयी, अन्‍य सहअभियुक्‍तों को जमानत दे दी गयी जो अप्रासंगिक थी। यह अभियुक्‍त ननद के विरूद्ध यातना एवं दुर्व्‍यवहार के अभिकथन से यद्यपि उनमें सार था, किंतु उसे बीस वर्षीय अविवाहित बालिका होने के कारण धारा 337 के परन्‍तुक के अंतर्गत जमानत दे दी गयी। अभियुक्‍त मृतका जेठ अलग रह रहा था, मृतका का विवाह ढाई वर्ष पूर्व हुआ था, उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया। जहां भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 498ए, 304बी तथा 306 के अंतर्गत अपराधों के अभिकथन गंभीर प्रकृति के हैं, अभिकथनों की अनुपस्थिति में कि अभियुक्‍त जमानत पर रिहा होने पर भाग जायेगा या अभियोजन साक्ष्‍य से छेडछाड करेगा अभियुक्‍त को जमानत पर छोड दिया जायेगा।
    जहां अभियुक्‍त मृतका के ससुर तथा देवर थे, अभिकथन मृत‍का के प्रति निर्दयी व्‍यवहार का था, जिसके कारण उसने अपना जीवन समाप्‍त कर लिया, दोनों को जमानत का हकदार नहीं माना गया। वधु दहन के गंभीर मामले में अभियुक्‍त की जमानत नामंजूर करनी पडती है। तथापि, जहां अभियुक्‍त पति के द्वारा पूर्व-नियोजन नहीं किया गया था मृत्‍यु क्षणिक आवेश में हुई, जमानत दी जा सकती है। उपरोक्‍त प्रकरण भारतीय दण्‍ड संहिता से लिया गया है।

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