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created Dec 12th 2019, 12:30 by DeendayalVishwakarma
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सम्राट अशोक भारतीय इतिहास के एक ऐसे महान शासक थे, जिसकी तुलना विश्व में किसी से नहीं की जा सकती। वह भारत में मौर्य साम्राज्य के तीसरे शासक थे जिन्होंने 269 ईसापूर्व से 232 ईसापूर्व तक भारत के लगभग सभी महाद्वीपों पर शासन किया था।
सम्राट अशोक को उनके अद्भुत साहस, पराक्रम, निडरता और निर्भीकता की वजह से अशोक महान के नाम से पुकारा जाता था। इसके अलावा उन्हें प्रियदर्शी एवं देवानाम्प्रिय आदि नामों से भी संबोधित किया जाता था। सम्राट अशोक एक ऐसे शासक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल कर मौर्य सम्राज्य का विस्तार किया था।
अशोक महान ने उत्तर में हिन्दुकश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी तक दक्षिण और कर्नाटक, मैसूर तक और पूरब में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक अपने मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया था। अशोक महान ने अपने कुशल प्रशासन से मौर्य सम्राज्य को उस समय तक का भारत का सबसे बउ़ा सम्राज्य बनाया था। इसलिए सम्राट अशोक को उनकी कुशल प्रशासन नीति और कूटनीति की वजह के लिए भी जाना जाता था।
सम्राट अशोक बौद्ध धर्म से अत्याधिक प्रभावित थे, उन्होंने बौद्ध धर्म के विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए काफी प्रयास किये। इसके अलावा उन्होंने बौद्ध धर्म का पूरी दुनिया में जमकर प्रचार-प्रसार भी किया था। इसलिए उनकी ख्याति बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में भी फैल गई थी। यही नहीं उन्होंने नेपाल में महात्मा बुद्ध के जन्मस्थल लुम्बिनी में स्मारक के रूप में अशोक स्तंभ का निर्माण भी करवाया था। वहीं सम्राट अशोक को महान अशोक बनाने में आचार्य चाणक्य ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
इतिहास के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर योद्धाओं में से एक सम्राट अशोक करीब 304 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते के रूप में बिहार के पाटिलपुत्र में जन्में थे। हालांकि इनके जन्म की तारीख के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक बिन्दुसार और माता सुभद्रांगी के पुत्र थे।
अशोक के पिता की लंका की परंपरा के मुताबिक करीब सोलह पटरानियां और एक सौ एक पुत्र थे। वहीं उनके सौ पुत्रों में से केवल अशोक, तिष्य और सुशीम का ही उल्लेख इतिहास के पन्नों में मिलता है। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानाम्प्रिय अशोक मौर्य था। वे मौर्य साम्राज्य के तीसरा निडर और निर्भीक राजा माने जाते थे। वहीं ऐसा माना जाता हैं कि सम्राट अशोक को एक कुशल और महान सम्राट बनाने में आचार्य चाणक्य का बहुत बड़ा योगदान रहा है, आचार्य चाणक्य ने उनके अंदर एक महान शासक के सारे गुण विकसित किए गए थे।
सम्राट अशोक को उनके अद्भुत साहस, पराक्रम, निडरता और निर्भीकता की वजह से अशोक महान के नाम से पुकारा जाता था। इसके अलावा उन्हें प्रियदर्शी एवं देवानाम्प्रिय आदि नामों से भी संबोधित किया जाता था। सम्राट अशोक एक ऐसे शासक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में अपनी कुशल कूटनीति का इस्तेमाल कर मौर्य सम्राज्य का विस्तार किया था।
अशोक महान ने उत्तर में हिन्दुकश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी तक दक्षिण और कर्नाटक, मैसूर तक और पूरब में बंगाल से पश्चिम में अफगानिस्तान तक अपने मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया था। अशोक महान ने अपने कुशल प्रशासन से मौर्य सम्राज्य को उस समय तक का भारत का सबसे बउ़ा सम्राज्य बनाया था। इसलिए सम्राट अशोक को उनकी कुशल प्रशासन नीति और कूटनीति की वजह के लिए भी जाना जाता था।
सम्राट अशोक बौद्ध धर्म से अत्याधिक प्रभावित थे, उन्होंने बौद्ध धर्म के विचारों को लोगों तक पहुंचाने के लिए काफी प्रयास किये। इसके अलावा उन्होंने बौद्ध धर्म का पूरी दुनिया में जमकर प्रचार-प्रसार भी किया था। इसलिए उनकी ख्याति बौद्ध धर्म के प्रचारक के रूप में भी फैल गई थी। यही नहीं उन्होंने नेपाल में महात्मा बुद्ध के जन्मस्थल लुम्बिनी में स्मारक के रूप में अशोक स्तंभ का निर्माण भी करवाया था। वहीं सम्राट अशोक को महान अशोक बनाने में आचार्य चाणक्य ने प्रमुख भूमिका निभाई है।
इतिहास के सबसे शक्तिशाली और ताकतवर योद्धाओं में से एक सम्राट अशोक करीब 304 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त मौर्य के पोते के रूप में बिहार के पाटिलपुत्र में जन्में थे। हालांकि इनके जन्म की तारीख के बारे में कोई पुख्ता प्रमाण नहीं है। सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के दूसरे शासक बिन्दुसार और माता सुभद्रांगी के पुत्र थे।
अशोक के पिता की लंका की परंपरा के मुताबिक करीब सोलह पटरानियां और एक सौ एक पुत्र थे। वहीं उनके सौ पुत्रों में से केवल अशोक, तिष्य और सुशीम का ही उल्लेख इतिहास के पन्नों में मिलता है। सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानाम्प्रिय अशोक मौर्य था। वे मौर्य साम्राज्य के तीसरा निडर और निर्भीक राजा माने जाते थे। वहीं ऐसा माना जाता हैं कि सम्राट अशोक को एक कुशल और महान सम्राट बनाने में आचार्य चाणक्य का बहुत बड़ा योगदान रहा है, आचार्य चाणक्य ने उनके अंदर एक महान शासक के सारे गुण विकसित किए गए थे।
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