Text Practice Mode
BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Dec 13th 2019, 12:38 by ashishgupta1232338
0
475 words
6 completed
0
Rating visible after 3 or more votes
00:00
हमें कभी भी बिना सोचे और पूरी बात जाने किसी भी फैसले पर नहीं पहुंचना चाहिए, इससे हमें ही नुकसान होता है, चलते-चलते बहुत थक चुके थे तभी पहले साथी ने पूछा कि अब कितना और चलना है, मुझे तो ऐसा लगता है कि तुम्हारा घर बहुत दूर है तभी पहला कहता है की बस कुछ ही दूरी तक जाना है और हम घर पहुंच जाएंगे, वह लगातार तीन दिन से चल रहे थे, इन दोनों की मुलाकात एक शहर में हुई थी, पहला दोस्त अकेला था, उसके साथ कोई भी नहीं था। दूसरा पहली बार उस शहर में आया था। वह दोनों तब मिले जब दूसरे का सामान एक चोर लेकर भाग रहा था। पहले ने उस चोर को पकड़ा और दूसरा दोस्त इस बात से खुश हो गया था।
उसने चोर को पकड़ लिया था, उसके बाद दोनों दोस्त बन गए थे, तभी दूसरा दोस्त कहने लगा कि तुम मेरे दोस्त हो और तुमने मेरी मदद की है, इसलिए मैं तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूं, उसके बाद पहला दोस्त तैयार हो गया था। दोनों साथ में चले जा रहे थे, पहला दोस्त बहुत थक चुका था। इसलिए कह रहा था कि तुम्हारा घर अभी नहीं आया है दूसरे ने कहा कि अब आने वाला है, तुम थोड़ा इंतजार करो उसके बाद दूसरे ने अपना घर दिखाया और कहा की वह मेरा घर है, पहले दोस्त ने उस घर को देखा और कहा कि तुम्हारा घर तो बहुत अच्छा है, यह तो बहुत बड़ा है। वह दोनों अंदर चले गये थे। उसके बाद दूसरे दोस्त की माता आयी और कहने लगी की यह तुम्हारे साथ में कौन है वह बोला कि यह मेरा दोस्त है। अब से हम दोनों साथ में रहेंगे इसने मेरा सामान चोरी होने से बचाया था। इसलिए मैं इसे अपने साथ में ले आया हूं। जिससे यह मेरे साथ में रहकर काम करे। क्योंकि यह अकेला ही रहता है और हम दोनों साथ में अच्छा कर पाएंगे।
उसके बाद वह अपने दोस्त को कमरे में ले गया था। उसे अपना कमरा दिखाया और बहुत सी पुरानी चीजे भी उसे दिखाई और कहा कि कल से हम दोनों दूकान पर चलेंगे, जब उसके पिताजी को पता चलता है कि वह किसी को अपने साथ लाया है और उसे अपने साथ रखना चाहता है तो उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी थी, पिताजी ने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि हम ऐसे ही किसी को भी अपने साथ नहीं रख सकते है, क्योंकि हम इसके बारे में नहीं जानते हैं। यह हमें परेशानी में डाल सकता है।
लेकिन लड़का नहीं माना था। पर पिताजी इस बात को नहीं मान रहे थे अगली सुबह ही वह अपने दोस्त का दुकान पर ले गया था। वह हर रोज दुकान पर जाते और शाम को आ जाते इस तरह दोनों साथ में काम करते किसी को भी कोई परेशानी नहीं थी।
उसने चोर को पकड़ लिया था, उसके बाद दोनों दोस्त बन गए थे, तभी दूसरा दोस्त कहने लगा कि तुम मेरे दोस्त हो और तुमने मेरी मदद की है, इसलिए मैं तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूं, उसके बाद पहला दोस्त तैयार हो गया था। दोनों साथ में चले जा रहे थे, पहला दोस्त बहुत थक चुका था। इसलिए कह रहा था कि तुम्हारा घर अभी नहीं आया है दूसरे ने कहा कि अब आने वाला है, तुम थोड़ा इंतजार करो उसके बाद दूसरे ने अपना घर दिखाया और कहा की वह मेरा घर है, पहले दोस्त ने उस घर को देखा और कहा कि तुम्हारा घर तो बहुत अच्छा है, यह तो बहुत बड़ा है। वह दोनों अंदर चले गये थे। उसके बाद दूसरे दोस्त की माता आयी और कहने लगी की यह तुम्हारे साथ में कौन है वह बोला कि यह मेरा दोस्त है। अब से हम दोनों साथ में रहेंगे इसने मेरा सामान चोरी होने से बचाया था। इसलिए मैं इसे अपने साथ में ले आया हूं। जिससे यह मेरे साथ में रहकर काम करे। क्योंकि यह अकेला ही रहता है और हम दोनों साथ में अच्छा कर पाएंगे।
उसके बाद वह अपने दोस्त को कमरे में ले गया था। उसे अपना कमरा दिखाया और बहुत सी पुरानी चीजे भी उसे दिखाई और कहा कि कल से हम दोनों दूकान पर चलेंगे, जब उसके पिताजी को पता चलता है कि वह किसी को अपने साथ लाया है और उसे अपने साथ रखना चाहता है तो उन्हें यह बात अच्छी नहीं लगी थी, पिताजी ने अपने बेटे को बुलाया और कहा कि हम ऐसे ही किसी को भी अपने साथ नहीं रख सकते है, क्योंकि हम इसके बारे में नहीं जानते हैं। यह हमें परेशानी में डाल सकता है।
लेकिन लड़का नहीं माना था। पर पिताजी इस बात को नहीं मान रहे थे अगली सुबह ही वह अपने दोस्त का दुकान पर ले गया था। वह हर रोज दुकान पर जाते और शाम को आ जाते इस तरह दोनों साथ में काम करते किसी को भी कोई परेशानी नहीं थी।
saving score / loading statistics ...