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मोहन हर वक्त अपने आने वाले कल के बारे में सोचा करता था। हर रोज एक ही बात सोचकर परेशान हुआ करता था। कि अगर मेरे भविष्य में बहुत सारी परेशानियां हुई तो मुझे कुछ भी हासिल नहीं होगा तभी उसकी पत्नी आई और कहने लगी कि हमें आने वाले भविष्य के बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए हमें अपने वर्तमान पर ही ध्यान देना चाहिए अगर हम वर्तमान पर ध्यान देंगे तो हमारा भविष्य जरूर अच्छा होगा लेकिन वह आदमी यही कहता था कि मुझे इस बात की चिंता हमेशा रहती है कि हमारा भविष्य पता नहीं कैसा होगा।
अगर हम आज के बारे में सोचते रहे तो हम कल को कैसे सुधार पाएंगे शायद वह अपनी पत्नी की बात बिल्कुल भी नहीं मान रहा था। और इसी चिंता में हमेशा लगा रहता था वह आदमी लकड़ी के सामान बनाने का काम करता था। और लकड़ी के सामान ही बनाया करता था। वह अपने काम को बहुत अच्छी तरह से करता था। क्योंकि वह मेहनती था। लेकिन उसे हमेशा यही बात सताती रहती थी कि वह भविष्य में अपने लिए कितना धन जोड़ जाएगा क्योंकि उसकी आमदनी इतनी ज्यादा नहीं थी।
तभी उस आदमी का मालिक आया और कहने लगा कि तुम काम तो बहुत अच्छी तरह करते हो लेकिन मैं कुछ दिनों से देख रहा हूं कि तुम बहुत ज्यादा परेशान हो तुम अपनी परेशानी मुझे बता सकते हो उस आदमी ने कहा कि मुझे कोई परेशानी नहीं है मैं थोड़ा सा बस सोचता रहता हूं तो उसका मालिक कहने लगा कि हमें सोचने पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए अपने काम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए अगर हम बहुत ज्यादा वक्त सोचने में ही लगा देंगे तो इससे हमारे कार्य पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है मालिक बात कहकर वापिस चला गया। लेकिन वह आदमी फिर अपनी सोच में डूब गया और उस सोचत-सोचते अपना कार्य करता रहा। तभी वह आदमी कुछ चीटियों को देखने लगा। कुछ चीटियां अपने लिए खाना ले जा रही थी और उन्हें इकट्ठा कर रही थी तभी आदमी सोचने लगा कि जब चीटियां अपने भविष्य के लिए इकट्ठा कर रही है तो मुझे भी ऐसा ही कुछ करना चाहिए।
अगर हम आज के बारे में सोचते रहे तो हम कल को कैसे सुधार पाएंगे शायद वह अपनी पत्नी की बात बिल्कुल भी नहीं मान रहा था। और इसी चिंता में हमेशा लगा रहता था वह आदमी लकड़ी के सामान बनाने का काम करता था। और लकड़ी के सामान ही बनाया करता था। वह अपने काम को बहुत अच्छी तरह से करता था। क्योंकि वह मेहनती था। लेकिन उसे हमेशा यही बात सताती रहती थी कि वह भविष्य में अपने लिए कितना धन जोड़ जाएगा क्योंकि उसकी आमदनी इतनी ज्यादा नहीं थी।
तभी उस आदमी का मालिक आया और कहने लगा कि तुम काम तो बहुत अच्छी तरह करते हो लेकिन मैं कुछ दिनों से देख रहा हूं कि तुम बहुत ज्यादा परेशान हो तुम अपनी परेशानी मुझे बता सकते हो उस आदमी ने कहा कि मुझे कोई परेशानी नहीं है मैं थोड़ा सा बस सोचता रहता हूं तो उसका मालिक कहने लगा कि हमें सोचने पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए अपने काम पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए अगर हम बहुत ज्यादा वक्त सोचने में ही लगा देंगे तो इससे हमारे कार्य पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है मालिक बात कहकर वापिस चला गया। लेकिन वह आदमी फिर अपनी सोच में डूब गया और उस सोचत-सोचते अपना कार्य करता रहा। तभी वह आदमी कुछ चीटियों को देखने लगा। कुछ चीटियां अपने लिए खाना ले जा रही थी और उन्हें इकट्ठा कर रही थी तभी आदमी सोचने लगा कि जब चीटियां अपने भविष्य के लिए इकट्ठा कर रही है तो मुझे भी ऐसा ही कुछ करना चाहिए।
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