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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || CPCT_Admission_Open
created Dec 14th 2019, 06:22 by akash khare
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26 जनवरी आ रही है। मुझे फिर याद किया जाएगा। मेरी विधवा बीवी को एक मैडल देकर घर को भेज दिया जाएगा। अभी कुछ दिन पहले की ही तो बात है। भारत मां की रक्षा के लिए मैं बॉर्डर पर तैनात था। टीवी कहां देखने को मिलता था। रेडियो पे सुना था कि किसी विशेष वर्ग के एक युवक की एक लड़ाई में मौत हो गयी। सुनने में आया कि जान बूझकर लड़ाई के बहाने हत्या की गयी थी।
देश के सभी नामी गिरामी नेता गए थे। उसके घर सांत्वना देने। सारी मीडिया पहुंच गयी थी और एक-एक पहल की खबर दे रही थी। कई बार ऐसा हो चुका था। जहां से कोई राजनीतिक लाभ दिखता है सब नेता पहुंच जाते हैं। ये तो पुरानी आदत है इनकी। जब भी ऐसी कोई घटना होती कि लड़ाई में किसी की मौत हो जाती, तो मन में एक ही ख्याल आता।
हम यहां देश की रक्षा के लिए दिन-रात अपनी जान पर खेलते हैं और देश के अंदर लोग आपस में ही लड़ मरने को तैयार हैं। इन्हें बाहर के दुश्मनों से नहीं अपने आप की कमजोरियों से ही खतरा है। यही सब बातें देश के लिए जरूरी थीं शायद।
मैं हर रोज की तरह रात में देश की रक्षा में तैनात था। अचानक गोलियां चलने की आवाज आने लगी। जैसे ही मैंने दुश्मन को देखा तो जवाबी कार्यवाही में मैंने गोलियां चलायीं। गोलीबारी हो ही रही थी कि अचानक एक गोली मेरी छाती में आ लगी। मैंने हिम्मत ना हारते हुए जवाब देना जारी रखा। मेरे साथी भी मेरे साथ दुश्मन से लोहा ले रहे थे। धीरे-धीरे मेरी हिम्मत जवाब देने लगी। मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी। दिल में अभी भी जुनून था कि इन दरिंदों को मैं अपने देश में नहीं जाने दूंगा। अगर ये चले गए तो ना जाने कितने मासूमों की जान ले लेंगे। तभी उस अंधेरी रात में सबकुछ धुंधलाने लगा। थोड़ी ही देर में चारों तरफ अंधेरा दिखने लगा।
थोड़ी ही देर में सब दर्द खत्म हो गया। सारे आतंकवादी मारे जा चुके थे। मेरे साथ थक चुके थे। मैंने जाकर उनको बधाई दी। पर उन्होंने कोई ध्यान ना दिया और उन आतंकवादियों की तलाशी लेने लगे। मुझे शक था कि उनके शरीर में बम लगे हुए थे। मैंने उन्हें रोकने के लिए हाथ बढ़ाया पर उन्हें पकड़ ना सका। दुबारा कोशिश करने पर भी में असफल रहा। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही वो तलाशी लेकर मेरी तरफ बढ़े।
मुझे लगा कि अब वो मुझसे मेरा हाल पूछेंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। वो मुझे पार करते हुए मेरे पीछे चले गए। मैंने घूमकर पीछे देखा तो जमीन पर मैं लेटा हुआ था। अरे पर मैं तो यहां पीछे खड़ा मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे दो हिस्से कैसे हुए। मैं यहां भी खड़ा था। और उधर वो लोग मुझे उठाने की कोशिश कर रहे थे। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं देश की सेवा करते-करते शहीद हो चुका हूं।
देश के सभी नामी गिरामी नेता गए थे। उसके घर सांत्वना देने। सारी मीडिया पहुंच गयी थी और एक-एक पहल की खबर दे रही थी। कई बार ऐसा हो चुका था। जहां से कोई राजनीतिक लाभ दिखता है सब नेता पहुंच जाते हैं। ये तो पुरानी आदत है इनकी। जब भी ऐसी कोई घटना होती कि लड़ाई में किसी की मौत हो जाती, तो मन में एक ही ख्याल आता।
हम यहां देश की रक्षा के लिए दिन-रात अपनी जान पर खेलते हैं और देश के अंदर लोग आपस में ही लड़ मरने को तैयार हैं। इन्हें बाहर के दुश्मनों से नहीं अपने आप की कमजोरियों से ही खतरा है। यही सब बातें देश के लिए जरूरी थीं शायद।
मैं हर रोज की तरह रात में देश की रक्षा में तैनात था। अचानक गोलियां चलने की आवाज आने लगी। जैसे ही मैंने दुश्मन को देखा तो जवाबी कार्यवाही में मैंने गोलियां चलायीं। गोलीबारी हो ही रही थी कि अचानक एक गोली मेरी छाती में आ लगी। मैंने हिम्मत ना हारते हुए जवाब देना जारी रखा। मेरे साथी भी मेरे साथ दुश्मन से लोहा ले रहे थे। धीरे-धीरे मेरी हिम्मत जवाब देने लगी। मेरी हिम्मत जवाब दे रही थी। दिल में अभी भी जुनून था कि इन दरिंदों को मैं अपने देश में नहीं जाने दूंगा। अगर ये चले गए तो ना जाने कितने मासूमों की जान ले लेंगे। तभी उस अंधेरी रात में सबकुछ धुंधलाने लगा। थोड़ी ही देर में चारों तरफ अंधेरा दिखने लगा।
थोड़ी ही देर में सब दर्द खत्म हो गया। सारे आतंकवादी मारे जा चुके थे। मेरे साथ थक चुके थे। मैंने जाकर उनको बधाई दी। पर उन्होंने कोई ध्यान ना दिया और उन आतंकवादियों की तलाशी लेने लगे। मुझे शक था कि उनके शरीर में बम लगे हुए थे। मैंने उन्हें रोकने के लिए हाथ बढ़ाया पर उन्हें पकड़ ना सका। दुबारा कोशिश करने पर भी में असफल रहा। मुझे कुछ समझ में नहीं आया। मैं कुछ समझ पाता उससे पहले ही वो तलाशी लेकर मेरी तरफ बढ़े।
मुझे लगा कि अब वो मुझसे मेरा हाल पूछेंगे। पर ऐसा नहीं हुआ। वो मुझे पार करते हुए मेरे पीछे चले गए। मैंने घूमकर पीछे देखा तो जमीन पर मैं लेटा हुआ था। अरे पर मैं तो यहां पीछे खड़ा मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मेरे दो हिस्से कैसे हुए। मैं यहां भी खड़ा था। और उधर वो लोग मुझे उठाने की कोशिश कर रहे थे। तब मुझे एहसास हुआ कि मैं देश की सेवा करते-करते शहीद हो चुका हूं।
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