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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Dec 14th 2019, 07:18 by lovelesh shrivatri


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जयपुर में गुरूवार को तेंदुआ फिर शहर में घूस गया। तेंदुए के शहर में घूसने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। इस बार वह पिछली बार की अपेक्षा शहर के ज्‍यादा अंदर तक गया। मुख्‍य सड़क जवाहरलाल नेहरू मार्ग को पार कर एक पॉश कॉलोनी स्थित घरों और स्‍कूल में जा पहुंचा। शहरवासी कर रहे हैं, जंगल के जीव वन्‍य क्षेत्र की अपनी सीमा का अतिक्रमण कर रहे है। इन्‍हें शहर से दूर खदेडने की आवाजे भी उठने लगी है।  
    यह सही है कि वन्‍य जीव अपना क्षेत्र छोड़कर शहरों में घूस रहे पर क्‍या हम नागरकि अपनी सीमाओं को छोड़कर वन्‍य क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं कर रहे? जयपुर की ही बात नहीं है। देशभर में यही हाल है। जंगलों में इंसानों की घुसपैठ बढेगी तो जानवर इंसानों की बस्तियों में घुसपैठ करेंगे ही। झारखण्‍ड, छत्‍तीसगढ़ में जंगली हाथी खेतों-गांवो को रौद रहे है। पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में बाघ, रीछ गांवों में घुस रहे है। कहीं नील गायें खेतों को चौपट कर रही हैं तो कहीं जंगली बंदर शहरों में घूसकर उत्‍पात मचा रहे है।  
लेकिन अव्‍वस्‍था, अतिक्रमण और उत्‍पात के मामले में हम इंसान वन्‍य जीवों से बहुत आगे है। जयपुर का ही उदाहरण लें। पहली अव्‍यस्‍था यह कि नगर नियोजन से जुड़े विभागों की लापवाही से झालाना जैसा जंगल बस्तियों से घिर गया। अब ये बस्तियां पहाडि़यों पर चढ़ती जा रही है। अवैध खनन की गतिविधियां बढ रही है। यानी वन्‍य जीवों के घर में इंसानी हस्‍तक्षेप बढ़ता जा रहा है।  
कहने को वन विभाग राष्‍ट्रीय पार्क, अभयारण्‍य, टाइगर प्रोजेक्‍ट नामों से बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाता है। हर वर्ष अरबों का बजट भी उड़ा दिया जाता है, पर इंसान जानवर की टकराहट पर उसका कोई ध्‍यान नहीं है। रणथम्‍भौर के बाघ पर्यटकों के मनोरंजन का साधन बन गए। होटलों का व्‍यवसाय दिन दूनी, रात चौगुनी गति से बढ़ रहा है। इसी कारण आज हमें इन सभी चीजों से गुजरना पड़ रहा है।  

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