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BUDDHA ACADEMY TIKAMGARH (MP) || ☺ || ༺•|✤CPCT_Admission_Open✤|•༻

created Jan 14th 2020, 06:40 by ashishgupta1232338


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जीवन में कई ऐसे पल आते हैं जब हमें अपने चारों ओर अंधकार ही दिखाई पड़ता है। ऐसे समय में हमारा मार्गदर्शक ही हमें उस अंधेरे से निकाल कर उजाले की तरफ ले जाता है। जीवन में मुसीबतों के अंधेरे में हम तभी जाते हैं जब हम अपने से बड़ों या अपने मार्गदर्शक के कहे अनुसार नहीं चलते। यदि हम उन्‍हीं की छत्रछाया में रहें और वैसा ही करें जैसा वे कहते हैं तो जीवन हमेशा खुशहाल बना रहेगा। आइये ऐसे ही एक सुन्‍दर प्रसंग पर ध्‍यान दें जिससे हमें अपने से बड़ो का सम्‍मान और मार्गदर्शक की अहमियत का पता चल सके।
    महाभारत का युद्ध चल रहा था एक दिन दुर्योधन के व्‍यंग्‍य से आहत होकर भीष्‍म पितामह घोषणा कर देते हैं कि मैं कल पांडवों का वध कर दूंगा। उनकी घोषणा का पता चलते ही पांडवों के शिविर में बेचैनी बढ़ गई। भीष्‍म की क्षमताओं के बारे में सभी को पता था इसलिए सभी किसी अनिष्‍ट की आशंका से परेशान हो गए। तब श्री कृष्‍ण ने द्रौपदी से कहा अभी मेरे साथ चलो श्री कृष्‍ण द्रौपदी को लेकर सीधे भीष्‍म पितामह के शिविर में पहुंच गए शिविर के बाहर खड़े होकर उन्‍होंने द्रोपदी से कहा कि अन्‍दर जाकर पितामह को प्रमाण करो।
    द्रौपदी ने अन्‍दर जाकर पितामह भीष्‍म को प्रमाण किया तो उन्‍होंने अखण्‍ड सौभाग्‍यवती भव का आशीर्वाद दे दिया, फिर उन्‍होंने द्रौपदी से पूछा कि बत्‍सा तुम इतनी रात में अकेली यहां कैसे आई हो क्‍या तुमको श्री कृष्‍ण यहां लेकर आये हैं। द्रौपदी ने कहा कि हां और वे कक्ष के बाहर खड़े हैं तब भीष्‍म भी कक्ष के बाहर गए और दोनों ने एक दूसरे से प्रमाण किया। भीष्‍म ने कहा मेरे एक वचन को मेरे ही दूसरे वचन से काट देने का काम श्री कृष्‍ण ही कर सकते हैं। शिविर से वापस लौटते समय श्री कृष्‍ण ने द्रौपदी से कहा कि तुम्‍हारे एक बार जाकर पितामह को प्रमाण करने से तुम्‍हारे पतियों को जीवनदान मिल गया है। अगर तुम प्रतिदिन भीष्‍म, धृतराष्‍ट्र, द्रोणाचार्य आदि को प्रमाण करती होती और दुर्योधन दु:शासन, आदि की पत्‍नियां भी पांडवों को प्रणाम करती होती, तो शायद इस महाभारत के युद्ध की नौबत ही आती।  
    वर्तमान में हमारे घरों में जो इतनी समस्‍याएं या परेशानियां हैं उनका भी मूल कारण यही है कि जाने अनजाने में हमसे अक्‍सर घर के बड़ों की उपेक्षा हो जाती है। इसलिए हमें अपनी गलती का पता चलते ही उनसे माफी मांग लेनी चाहिए। यदि घर के बच्‍चे और बहुएं प्रतिदिन घर के सभी बड़ो का सम्‍मान कर उनका आशीर्वाद लें तो, शायद किसी भी घर में कभी कोई क्‍लेश हो।

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