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सॉंई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा म0प्र0 सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक:- लकी श्रीवात्री मो0नं. 9098909565

created Jan 23rd 2020, 05:10 by Saityping


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गरीबी वो स्थिति है जिससे एक परिवार जीने के लिये अपनी आधारभूत जरूरतों को पूरा करने में सक्षम नहीं होता है, जैसे खाना, वस्‍त्र और घर। भारत में गरीबी विशाल स्‍तर पर फैली हुई है। स्‍वतंत्रता के समय से गरीबी एक प्रचलित चिंता का विषय है। ये 21वीं शताब्‍दी है और गरीबी आज भी देश में लगातार खतरा के रूप में बनी हुई है। भारत ऐसा देश है जहां अमीर और गरीब के बीच बहुत व्‍यापक असमानता है। इसे ध्‍यान में रखा जाना चाहिये कि यद्यपि पिछले दो दशकों में अर्थव्‍यवस्‍था में प्रगति के कुछ लक्षण दिखाये दिये है, ये प्रगति विभिन्‍न क्षेत्रों या भागो में असमान है।  
वृद्धि दर बिहार और उत्‍तर प्रदेश की तुलना में गुजरात और दिल्‍ली में उँची है। लगभग आधी जनसंख्‍या के पास रहने के लिये पर्याप्‍त आवास नहीं है, सभ्‍य स्‍वच्‍छता प्रणाली तक पहुंच, गांवों में पानी का स्‍त्रोत कोई नहीं है साथ ही माध्‍यमिक विद्यालय भी नहीं है, और ना ही उपयुक्‍त रास्‍तें है। यहां तक कि दलितों की तरह ही समाज के कुछ वर्ग सरकार द्वारा नियुक्‍त संबंधित अधिकारी वर्ग द्वारा अनुरक्षित गरीबी सूची में शामिल वर्ग द्वारा अनुरक्षित गरीबी सूची में शामिल भी नहीं किये गये है। वो समूह जो सामाजिक रूप से अलग रख दिये गये है। वो तत्‍व जिसने इस स्थिति को और भी पेचीदा और दूषित कर दिया है, वो हैं सरकार द्वारा प्रदत्‍त अनुदान प्रणाली जिसकी वितरण प्रणाली में घोटाले, भ्रष्‍टाचार ओर लीकेज हैं जिसके कारण वो परिवारों तक योजना के अनुसार नहीं पहुंच पर रही है।  
अशिक्षा वो स्थिति है जो राष्‍ट्र के विकास पर एक धब्‍बा बन गयी है। भारत बहुत बड़ी अशिक्षित जनसंख्‍या काे धारण करता है। भारत में अशिक्षा वो समस्‍या है जो इससे जुड़े बहुत से जटिल परिणाम रखती है। भारत में अशिक्षा लगभग देश में विद्यमान असमानताओं के विभिन्‍न रूपों के साथ संबंधित है। देश में व्‍याप्‍त असाक्षरता की दर को लिंग असंतुलन, तकनीकी बाधाएं आदि दे रही है।
भारतीय सरकार ने असाक्षरता के खतरे का मुकाबला करने के लिये बहुत सी योजनाओं को लागू किया लेकिन स्‍वच्‍छता की घटिया परिस्थितियों, महंगी निजी शिक्षा, दोषपूण्र मिड-डे  मील योजना के कारण अशिक्षा अभी भी अस्तित्‍व में हैं। केवल सरकार को ही नहीं बल्कि प्रत्‍येक साक्षर व्‍यक्ति को भी असाक्षरता के उन्‍मूलन को व्‍यक्तिगत लक्ष्‍य के  रूप में स्‍वीकार करना चाहिये। सभी साक्षर व्‍यक्तियों द्वारा किये गये सभी प्रयास इस खतरे के उन्‍मूलन में महत्‍वपूर्ण योगदान दे सकते है।  

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