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साँई टायपिंग इंस्‍टीट्यूट गुलाबरा छिन्‍दवाड़ा (म0प्र0) सीपीसीटी न्‍यू बैच प्रारंभ संचालक- लकी श्रीवात्री मो0नं0 9098909565

created Jan 25th 2020, 03:11 by renukamasram


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स्‍कूलों में अगले महीने शुरू हो रही परीक्षाओं से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ परीक्षा पर चर्चा के दौरान समाज की एक दुखती रग पर हाथ रखा। उन्‍होंने विद्यार्थियों को कुछ समय गैजट्स से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा कि वह स्‍मार्टफोन को जितना समय देते है, उसमें 10 फीसदी की कटौती कर यह समय अपने माता-पिता, दादा-दादी के साथ बितांए। प्रधानमंत्री ने उन मनौवैज्ञानिकों और समाजशास्त्रियों की चिंताओं को गहराई से रेखाकिंत किया है, जो समय-समय पर चेतावनी देते रहे हैं कि गैजेट्स के जरूरत से ज्‍यादा इस्‍तेमाल ने परिवार तथा समाज में अदृश्‍य विभाजन रेखाएं खींच दी है। इससे घर में परिजनों से बातचीत की फुर्सत और बाहर दोस्‍त-रिश्‍तेदारों से मेलजोल, सब खत्‍म हो रहा है। घर और समाज में यह संवादहीनता अकेलेपन के साथ अवसाद बढ़ा रही है। बेशक संचार क्रा‍ंति की देन यानी इंटरनेट-गैजेट्स से कई काम आसान हुए है, जानकारियों का विस्‍तार हुआ है और तमाम दुनिया जैसे अंगुलयों पर गई है, लेकिन अति हर जगह खतरे पैदा करती है। गैजेट्स के इस्‍तेमाल की भी अति हो रही है। यह ऐसी लत हो गई है, जो इंसान को उग्र, एकाकी आत्‍मकेद्रित और चिड़चिडा़ बना देती है।  
रोटी, कपड़ा और मकान की तरह स्‍मार्टफोन बच्‍चों के साथ बड़ों के लिए भी बुनियादी जरूरत बन गया है। कइयों के लिए इसके बगैर एक दिन गुजारना भी यातना से कम नहीं होता। इंटरनेट पर अगर सभी के लिए उपयोगी सामग्री का अथाह महासागर है तो कुछ लोगों ने इस पर तरह-तरह की अवांछित सामग्री डालकर इसे दूषित भी कर रखा है। बच्‍चे और किशोर इसके प्रति जल्‍दी आकर्षित होते है। ब्‍लू व्‍हेल जैसे गेमिंग ऐप्‍स बच्‍चों से सिर्फ उनका बचपन छीन रही है, बल्कि उन्‍हें शिष्‍टचार और परिवार से दूर ले जा रही है। एक दौर था, जब किताबें और बाल पत्रिकाएं बच्‍चों में कल्‍पना-शक्ति का संचार करती थीं तो कबड्डी, गिल्‍ली-डंडा, लुका-छिपी जैसे मोहल्‍ले के खेल उन्‍हें पुष्‍ट रखते थे। अब इंटरनेट की लत उनके मानसिक और शारीरिक स्‍वास्‍थ्‍य पर प्रतिकूल असर डाल रही है। गैजेट्स से नई पीढ़ी में पनप रही जडता को तोड़ना बेहद जरूरी है। अभिभावकों और शिक्षकों की जिम्‍मेदारी है कि वह बच्‍चों को गैजट्स के कुप्रभावों के खिलाफ जागरूक करने के साथा-साथ उन्‍में संबंधो के प्रति चेतना जगाएं। यह चेतना ही उन्‍हें अकादमिक सफलता दिलाएगी और बेहतर नागरिक बनाएगी। बच्‍चे देश का भविष्‍य है। उनका भविष्‍य संवारने के लिए हर स्‍तर पर वह सब किया जाना चाहिए, जो जरूरी है।  

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